वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की महानिदेशक और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) की सचिव डॉ. एन. कलैसेल्वी ने 25 मई 2024 को दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल में केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट–सीएमआरआई) के इलेक्ट्रिक टिलर का अनावरण किया। सीएसआईआर-सीएमईआरआई की नवीन प्रौद्योगिकी से विकसित इस इलेक्ट्रिक टिलर को ऐसे छोटे से लेकर सीमांत किसानों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है, जो देश के कृषक समुदाय का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हैं। ऐसे किसान, जिनके पास आमतौर पर 2 हेक्टेयर से कम भूमि है, विभिन्न कृषि कार्यों के लिए इस इलेक्ट्रिक टिलर का उपयोग कर सकते हैं, जिससे परिचालन लागत में बहुत कमी आती है। इसके अलावा, यह प्रगति शुद्ध-शून्य उत्सर्जन (नेट-जीरो इमीशन) प्राप्त करने और पर्यावरण के अनुकूल कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है।
इलेक्ट्रिक टिलर बेहतर टॉर्क और फील्ड दक्षता का दावा करने के साथ ही उपयोगकर्ता की सुविधा और पर्यावरणीय स्थिरता को भी प्राथमिकता देता है। यह हाथ और बांह के कंपन को बहुत कम कर देता है, चुपचाप संचालित होता है, और इससे पारंपरिक आईसीई टिलर की तुलना में शून्य निकास उत्सर्जन होता है। परिचालन लागत को 85 प्रतिशत तक कम करने की क्षमता के साथ ही इसका उपयोगकर्ता-अनुकूल डिज़ाइन बैटरी पैक स्वैपिंग का समर्थन करता है और यह एसी एवं सौर (सोलर) डीसी चार्जिंग सहित कई चार्जिंग विकल्प प्रदान करता है।
यह टिलर रिजर्स, हल, लोहे के पहिये और कल्टीवेटर जैसे मानक कृषि उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ भी सहजता से जुड़ जाता है। यह 2 इंच के पानी के पंप और 500 किलोग्राम तक का भार उठाने में सक्षम ट्रॉली अटैचमेंट से सुसज्जित है, जो इसकी एवं वैविध्यपूर्ण उपयोगिता को और बढ़ा देता है। इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण और एर्गोनोमिक हैंडलिंग की सुविधा के साथ, ऑपरेटर इसे आसानी से खेतों में संचालित (नेविगेट) करने के साथ-साथ थकान को कम कर सकते हैं और उत्पादकता को अधिकतम कर सकते हैं। सीएसआईआर-सीएमईआरआई का इलेक्ट्रिक टिलर कृषि मशीनरी में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो अधिक टिकाऊ और कुशल खेती के भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती है।