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हमारे बाल बढ़ते और सफेद क्यों होते हैं?

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे बाल सफेद होने लगते हैं जो तो होना ही है। वास्तव में ये हमें विशिष्ट बनाते हैं। सेवानिवृत्त और अनुभवी बुज़ुर्ग इसे अवसर की तरह देखते हैं और इसका फायदा भी उठाते हैं। लेकिन कई पुरुष, खासकर फिल्म और प्रदर्शन कलाओं से जुड़े पुरुष, बालों की सफेदी को लेकर चिंतित रहते हैं, और युवा और सुंदर दिखने के लिए तरह-तरह के लोशन व रोगन लगाते हैं। महिलाओं के मामले में बात अलग लगती है, उनके बाल उम्र के हिसाब से थोड़ा देर में सफेद होते हैं। ऐसा शायद उनके पारंपरिक और आधुनिक औषधीय तेलों को लगाने और सिर धोने के तरीकों के कारण हो सकता है। पुरुषों की तरह महिलाओं में दाढ़ी-मूंछ भी नहीं होती हैं। तो क्या इस अंतर का कोई लिंग-आधारित कारण है?

नेचर पत्रिका (16 अप्रैल, 2023) में प्रकाशित एक लेख में बताया गया है कि अज्ञात कारणों से मेलेनोसाइट स्टेम कोशिकाएं, जो चूहों और मनुष्यों में त्वचा और बालों को रंग देती हैं, शरीर की अन्य स्टेम कोशिकाओं की तुलना में पहले ठप होने लगती हैं। लेख बताता है कि उम्र बढ़ने के दौरान जब चूहों को रंजक देने वाली कुछ स्टेम कोशिकाएं थम जाती हैं तब चूहों के बाल सफेद होने लगते हैं। पिगमेंट बनाने वाली स्टेम कोशिकाओं का गतिशील रहना आवश्यक है वरना बाल सफेद हो जाएंगे। क्या यही बात मनुष्यों में भी लागू होती है, और क्या इसमें लिंग-आधारित अंतर है? इसका जवाब अभी पता लगना बाकी है।

उपरोक्त शोध के आने के पूर्व 30 मार्च, 2022 को कोलेरेडो स्टेट युनिवर्सिटी के कोलंबाइन हेल्थ सिस्टम्स फॉर हेल्दी एजिंग द्वारा एक लेख ‘दी साइंस ऑफ ग्रे हेयर’ प्रकाशित हुआ था। यह लेख बताता है कि बालों का रंग कहां से और कैसे आता है। हमारे बालों के रोमकूप (फॉलीकल्स) में दो तरह के मेलेनिन अणु मौजूद होते हैं। पहला यूमेलेनिन, यह मेलेनिन जब बालों की कोशिकाओं में पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है तो बाल काले और भूरे रंग के होते हैं, जबकि यह कम मात्रा में हो तो बाल सुनहरे (ब्लॉन्ड) रंग के होते हैं। जिस तरह हमारे उम्रदराज़ फिल्मी हीरो युवा दिखना चाहते हैं, उसी तरह हमारी फिल्मी नायिकाएं जवां सुनहरे (ब्लॉन्ड) बाल चाहती हैं। और इसके लिए तरह-तरह के तेल आज़माती हैं और बालों को ब्लीच करवाती हैं।

तो क्या बालों के सफेद होने में लिंग-आधारित अंतर है, और क्या आप जहां रहते हैं वहां के वातावरण से इस पर कोई फर्क पड़ता है? इन दोनों ही सवालों के जवाब मिलना अभी बाकी है। लेकिन इस बारे में ज़रूर कुछ सलाहें दी गई है कि कैसे बालों के झड़ने (गंजेपन) की समस्या और बाल सफेद होने को कम किया जाए। इनमें से कुछ सुझाव/सलाह हैं: एंटीऑक्सीडेंट सब्जि़यां और फल अधिक खाएं, धूम्रपान से बचें या छोड़ दें और प्राकृतिक उपचार अपनाएं। आयुर्वेदिक च्यवनप्राश ऐसे ही उपचार का दावा करता है; इसमें एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन से भरपूर कई प्राकृतिक चीज़ें होती हैं, और यह दावा करता है कि इसके सेवन से बाल बढ़ेंगे और सफेद कम होंगे। यूनानी दवा ज़िंदा तिलिस्मात भी ऐसा ही दावा करती है, इसमें प्रचुर मात्रा में नीलगिरी का तेल, विटामिन और बुढ़ापा रोधी रसायन होते हैं।

फिर भी, बाल बढ़ाने या झड़ना कम करने, और सफेद होना कम कर जवां बने रहने के लिए सबसे अच्छा उपाय है खूब सारी सब्ज़ियां और फल खाएं। जैसे टमाटर, पालक, रैस्पबेरी, ब्रोकोली और डार्क चॉकलेट। साथ ही, भोजन में गेहूं या चावल की बजाय रागी, ज्वार, बाजरा जैसा मोटा अनाज शामिल करें, क्योंकि ये बालों के बढ़ने में मदद करते हैं और मौजूदा बालों को स्वस्थ रखते हैं।

बालों के सफेद होने में मेलेनिन का हाथ है या मेलानोसाइट्स का हाथ है? और क्या महिला-पुरुष में बालों की समस्या का फर्क लिंग-आधारित है? बहरहाल इन सवालों का जवाब मिलने के लिए इंतज़ार करना होगा।  (स्रोत फीचर्स)

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