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शांति स्वरूप भटनागर राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह का आयोजन

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 26 सितंबर को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित एक समारोह में 45 वर्ष से कम उम्र के प्रख्यात वैज्ञानिकों को शांति स्वरूप भटनागर राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने एक लिखित संदेश में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई दी है। उन्‍होंने सीएसआईआर के 82वें स्थापना दिवस की सफलता के लिए सीएसआईआर से जुड़े सभी लोगों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।

प्रधानमंत्री के संदेश में समाज, उद्योग और राष्ट्र की सेवा में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए सीएसआईआर की सराहना की गई। संदेश में विशेष रूप से अरोमा मिशन, फूलों की खेती में प्रगति, जम्मू-कश्मीर में लैवेंडर की खेती के जरिये शुरू हुई बैंगनी क्रांति, देश के सीमावर्ती इलाकों में स्टील स्लैग सड़कों का निर्माण आदि का उल्‍लेख किया गया है जो राष्ट्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने में सीएसआईआर के योगदान के कुछ उदाहरण हैं।
प्रधानमंत्री सीएसआईआर के अध्यक्ष भी हैं। उन्‍होंने अपने संदेश में कहा कि 2047 तक की अवधि, जब हम अपनी आजादी की शताब्दी मनाएंगे, एक सशक्त, समावेशी और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के सपने को साकार करने का अवसर है। इस संदर्भ में सीएसआईआर जैसे संस्थानों की भूमिका कहीं अधिक महत्‍वपूर्ण हो जाती है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में सीएसआईआर भारत को ग्लोबल टेक-हब बनाने के लिए अमृत काल में एसटीआई यात्रा का मुख्य आधार बन सकता है। उन्‍होंने कहा कि 2042 में सीएसआईआर का 100वां स्‍थापना वर्ष 2047 में भारत की आजादी के 100वें वर्ष के गौरव को बढ़ा सकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह सीएसआईआर के उपाध्यक्ष भी हैं। उन्‍होंने कहा कि भारत न केवल सामाजिक आर्थिक विकास की राष्‍ट्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने बल्कि अपनी वैश्विक स्थिति को सशक्त करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने के तरीके में जबरदस्‍त बदलाव देख रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर की कुछ शानदार उपलब्धियों एवं पहलों का उल्‍लेख करते हुए कहा कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन की गंभीर वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (सीसीयूएस) मिशन सीएसआईआर द्वारा शुरू की गई एक महत्‍वपूर्ण पहल है। उन्होंने कहा कि यह मिशन कार्बन डाईऑक्‍साइड कैप्चर, उपयोगिता एवं भंडारण से संबंधित नई प्रौद्योगिकी एवं समाधान विकसित करने पर केंद्रित है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘मुझे बताया गया है कि सीएसआईआर इस मिशन पर जिन प्रमुख हितधारकों के साथ चर्चा कर रहा है, उनमें अदाणी, रिलायंस, टाटा स्टील, अल्ट्राटेक सीमेंट, एनटीपीसी, जेएसडब्ल्यू स्टील एवं अन्य शामिल हैं।’


डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले साल शुरू किए गए सीएसआईआर हाइड्रोजन टेक्‍नोलॉजी मिशन का उद्देश्‍य उद्योग विशेषज्ञों के परामर्श से हाइड्रोजन का उत्पादन, भंडारण और उपयोग करना है। सीएसआईआर का लक्ष्य हरित ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में हाइड्रोजन की पूरी क्षमता को उजागर करना, कार्बन उत्सर्जन को कम करना और स्वच्छ एवं सतत भविष्य में योगदान देना है। सिकल सेल एनीमिया पर मिशन मोड परियोजना सीएसआईआर की एक अन्‍य महत्वपूर्ण पहल है। व्यापक रोग प्रबंधन इसका एक दूरगामी उद्देश्य है। भविष्य में बीमारी के दबाव को कम करना और लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर करना भी इसका एक व्‍यापक उद्देश्‍य है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि फाइटोफार्मास्युटिकल मिशन, एंटीवायरल मिशन, लीथियम आयन बैटरियों का पुनर्चक्रण एवं महत्वपूर्ण रसायनों व धातुओं को दोबारा हासिल करना, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एडवांस मैटेरियल्स आदि नई पहल सराहनीय है। उन्होंने कहा, ‘मैं इन प्रयासों के लिए सीएसआईआर को शुभकामनाएं देता हूं। मुझे विश्वास है कि सीएसआईआर यह सुनिश्चित करेगा कि अमृत काल के दौरान इन सभी चुनौतियों को डिलिवरी के अद्भुत अवसरों के रूप में देखा जाए।’

डॉ. जितेंद्र सिंह ने जोर देकर कहा कि सीएसआईआर प्रयोगशालाओं का योगदान व्‍यापक एवं विविध रहा है, मगर इसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। यही कारण है कि सीएसआईआर के पिछले स्थापना दिवस के अवसर पर उन्होंने सीएसआईआर नेतृत्व से ‘वन वीक वन लैब’ पहल को सभी घटकों में लागू करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा, ‘हमारी सबसे ओजस्‍वी पहली महिला महानिदेशक डॉ. कलाईसेल्वी के नेतृत्व ने पिछले एक साल के दौरान ओडब्ल्यूओएल कार्यक्रम को एक नया आयाम दिया है।’

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पहली बार सीएसआईआर के हितधारकों के अलावा बड़े पैमाने पर लोगों ने सीएसआईआर प्रयोगशालाओं की भव्यता और क्षमताओं को देखा है। उन्होंने यह भी कहा कि इससे विभिन्न हितधारकों, उद्योग, संबंधित मंत्रालयों, एमएसएमई, स्टार्टअप, कारीगरों, शोधकर्ताओं, कॉलेजों और स्कूली बच्चों के बीच तकनीकी सफलताओं एवं सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के नवाचारों के बारे में जागरूकता पैदा करने में मदद मिली।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर के नेतृत्व से ओडब्ल्यूओएल की तर्ज पर एक ‘वन वीक – वन थीम’ यानी ‘एक सप्‍ताह एक विषय’ योजना तैयार करने का आग्रह किया। इसमें थीम या विषय से जुड़े सभी संस्थानों को सही मायने में जोड़ते हुए एकीकृत किया जाएगा।

डीएसआईआर की सचिव और सीएसआईआर की महानिदेशक डॉ. एन. कलाईसेल्वी ने कहा कि आने वाले दिनों में सीएसआईआर अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार करेगा। उन्‍होंने कहा कि सीएसआईआर विजन-2030 की घोषणा के बाद सीएसआईआर का शताब्दी वर्ष मनाने के लिए जल्‍द ही व्‍यापक तौर पर सीएसआईआर दृष्टिकोण-2042 भी पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर के दोनों दृष्टिकोण भारत को 2047 तक विकसित बनाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप होंगे।

डॉ. कलाईसेल्वी ने यह भी कहा कि आज हम ओडब्ल्यूओएल पहल को जबरदस्‍त सफल बनाने की दिशा में सीएसआईआर निदेशकों और प्रयोगशालाओं के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कर्मचारियों के समर्पित प्रयासों को देख रहे हैं।

अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अब भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का सामाजिक लाभ के लिए तेजी से उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने एक संक्षिप्त प्रस्तुति के जरिये भारत के अंतरिक्ष मिशन के दृष्टिकोण को भी रेखांकित किया।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने अपने संबोधन में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार एवं अन्य विज्ञान पुरस्कारों के औचित्‍य के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पुरस्कारों की घोषणा 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर की जाएगी और पुरस्‍कारों का वितरण 23 अगस्त को किया जाएगा, जिस दिन विक्रम लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा था।

कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री द्वारा विजेताओं को प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भी प्रदान किए गए।

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