कानपुर में साइबर-भौतिक प्रणालियों में प्रौद्योगिकी नवोन्मेषण (टीआईपीएस) पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विशेषज्ञों ने रेखांकित किया कि उद्योग और समाज में साइबर भौतिक प्रणालियों का अनुप्रयोग प्रौद्योगिकी को नए कार्य क्षेत्रों में रूपांतरित कर सकता है, सेंसर और संचार जैसे क्षेत्रों में इसके उपयोग में सहायता कर सकता है और हब सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करके और एक-दूसरे से सीखकर ये बदलाव ला सकते हैं।
नीति आयोग के विज्ञान के सदस्य डॉ वी.के. सारस्वत ने उद्योग 4.0 और समाज 5.0 से आगे की साइबर भौतिक प्रणालियों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा “यदि दोनों को मिला दिया जाए, तो साइबर भौतिक प्रणालियां साइबर सोशल सिस्टम, साइबर बायोलॉजिकल सिस्टम और साइबर एंटरप्राइजेज सिस्टम जैसे नए क्षेत्रों में रूपांतरित हो सकते हैं। ऐसी सभी प्रणालियों में सामान्य तत्व सेंसर, संचार और एल्गोरिदम हैं और हबों को इन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।”
हबों के कार्य और उनमें महिलाओं की भागीदारी की सराहना करते हुए, डॉ. सारस्वत ने एनएम-आईसीपीएस मिशन कार्यालय, इसकी विशेषज्ञ समिति के सदस्य और टीआईएच के बीच प्रत्यक्ष परस्पर संपर्क को सुगम बनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हुए रेखांकित किया कि इकोसिस्टम को बढ़ाने के लिए साइबर फिजिकल सिस्टम और उसके रूपांतरण पर अनुसंधान और विकास मिशन मोड में होना चाहिए।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा नेशनल मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स (एनएम-आईसीपीएस) के तहत साइबर-फिजिकल सिस्टम्स (टीआईपीएस) में प्रौद्योगिकी नवोन्मेषण पर तीसरी राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन 5 से 6 अक्टूबर, 2023 तक किया जा रहा है और इसकी मेजबानी आईआईटी, कानपुर में एक साइबर सुरक्षा टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब सी3आईहब द्वारा की जा रही है।
एनएम-आईसीपीएस के मिशन गवर्निंग बॉडी (एमजीबी) के अध्यक्ष डॉ. क्रिस गोपालकृष्णन ने बताया कि अनुसंधान को ऐसी तकनीक तैयार करनी चाहिए जो समाज में प्रभाव डाल सके और जिसका व्यावसायीकरण भी किया जा सके।
उन्होंने जोर देकर कहा, “इसके अतिरिक्त, जो अर्जित किया जाना है उसकी रूपरेखा को ध्यान में रखते हुए विविध राजस्व धाराओं के माध्यम से हब कार्यकलापों की निर्वहनीयता सुनिश्चित की जानी चाहिए।”
डीएसटी के वरिष्ठ सलाहकार और एसईआरबी के सचिव डॉ. अखिलेश गुप्ता ने विस्तार पूर्वक बताया कि एनएम-आईसीपीएस मिशन के माध्यम से 550 प्रौद्योगिकियों का निर्माण हुआ है, 12,000 रोजगार सृजित हुए हैं, 100 गठबंधन किए गए हैं, जबकि इससे 1400 प्रकाशन और 50,000 प्रशिक्षित जनशक्ति का सृजन हुआ है। उन्होंने कहा “समेकन और युक्तिकरण की आवश्यकता है। इस दिशा में हमने जो पहला कदम उठाया है, वह इस कार्यशाला को 5 विषयगत क्षेत्रों – अवसंरचना, कृषि, स्वास्थ्य, रक्षा और पर्यावरण के साथ आयोजित करना है।”
गणमान्य व्यक्तियों ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया जिसमें 25 टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (टीआईएच) अपनी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और अनुसंधान प्रगति का प्रदर्शन कर रहे हैं।
आईआईटी कानपुर के कार्यवाहक निदेशक प्रोफेसर एस. गणेश, डीएसटी के , एनएम-आईसीपीएस की मिशन निदेशक डॉ. एकता कपूर तथा सभी 25 हबों के विशेषज्ञ और प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स (एनएम-आईसीपीएस) पर राष्ट्रीय मिशन को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिसंबर 2018 में पांच साल की अवधि के लिए मंजूरी दी थी। इस मिशन का नेतृत्व विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा किया जाता है और इसका उद्देश्य अनुसंधान, नवोन्मेषण और सहयोग के माध्यम से भारत में साइबर-फिजिकल सिस्टम (सीपीएस) के क्षेत्र को आगे बढ़ाना है।
एनएम-आईसीपीएस कार्यान्वयन के हिस्से के रूप में, देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में 25 प्रौद्योगिकी नवोन्मेषण केंद्र (टीआईएच) स्थापित किए गए हैं। ये टीआईएच प्रौद्योगिकी विकास और अनुवाद, मानव संसाधन और कौशल विकास, उद्यमिता और स्टार्ट-अप विकास तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोगात्मक अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने के द्वारा मिशन की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।