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Astronomy

चांद में फिर बढ़ी दिलचस्पी, 2023 में ये देश भेज रहे मिशन

चांद में वैज्ञानिकों की दिलचस्पी फिर से बढ़ने लगी है। अगले साल याना 2023 में कई देश चांद पर अपना मिशन भेज रहे हैं। इनमें भारत, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसी शामिल है। हाल ही में नासा के आर्टेमिस-एक मिशन ने चांद का चक्कर लगाया था। यह यान लोगों को चांद की सतह पर फिर से उतारने के मकसद से तैयार किया गया है।

भारत भेजेगा अपना यान

भारत अगले साल जून में चंद्रयान-3 को चांद पर भेजने की योजना बना रहा है। यान के साथ एक लैंडिंग मॉड्यूल और रोबोटिक रोवर भेजा जाएगा। ये चांद की सतह का परीक्षण कर जरूरी जानकारी जुटाएंगे। भारत ने 2008 में चंद्रयान-1 को चंद्रमा पर भेजा था

रूस भी कतार में

रूस भी अगले साल जून में चांद पर मिशन भेजने की सोच रहा है। इसका नाम लूना-25 है। रूस दक्षिणी धुव्रीय क्षेत्र में चंद्रमा की सतह की जांच करने की योजना बना रहा है।

.यात्रियों को भेजने की कोशिश में स्पेसएक्स

स्पेसएक्स ने 2023 के आखिर में जापानी अरबपति युसाकु मेज़वा और आठ अन्य यात्रियों को चंद्रमा के चारों ओर की यात्रा पर ले जाने की योजना बनाई है। यह इसके स्टारशिप वाहन के लिए पहला मिशन होगा, जो 100 लोगों को ले जाने में सक्षम है।

नासा की मानव मिशन भेजने की योजना

वहीं अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 2024 में अपना अगला चंद्रमा मिशन लॉन्च करने की योजना बनाई है। आर्टेमिस-II नाम का यह यान अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की परिक्रमा कराने के लिए ले जाएगा। अमेरिकी एजेंसी ने 2025 या 2026 में आर्टेमिस-III मिशन शुरू करने वाली है। 1972 में नासा के आखिरी अपोलो मिशन के बाद से यह पहली बार होगा जब लोग चंद्रमा पर जाएंगे। नासा ने कहा है कि वह मिशन के लिए स्पेस एक्स स्टारशिप का इस्तेमाल करेगा। चीन ने रूस के साथ मिलकर 2035 तक चंद्रमा पर एक साझा शिविर स्थापित करने की योजना की घोषणा की है। हालांकि इसके लिए कोई समयसीमा तैयार नहीं की गई है।

चंद्रमा में दिलचस्पी की वजह

जानकारों का मानना है कि अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों का मकसद अंतरिक्ष यात्रियों के रहने के लिए चंद्रमा पर शिविर बनाने का है। इसका मकसद मंगल जैसे ग्रह पर पहुंचने की कोशिशों को विस्तार देना और अंतरिक्ष में गहरे तक रिसर्च को बढ़ावा देना भी है। वहीं यह भी सबको पता है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी है। इसे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तोड़ा जा सकता है। जिसका इस्तेमाल मंगल और अन्य जगहों पर यान भेजने के लिए ईंधन के रूप में किया जा सकता है। यही वजह है कि चांद पर जाने की होड़ मची हुई है।

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