नागपुर में चल रहे भारतीय विज्ञान कांग्रेस में कई मसलों पर गहन चर्चा हो रही है। ऐसे ही एक सत्र में भारत सरकार के वैज्ञानिक विभागों के प्रमुखों ने देश को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने की रूपरेखा तैयार की। साथ ही इस रास्ते में आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर विचार-विमर्श किया।
स्टार्ट-अप पर जोर
केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर एके सूद ने रेखांकित किया कि भारत दुनिया भर में स्टार्ट-अप्स के लिए तीसरे सबसे बड़े पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में उभरा है। यही नहीं भारत के गहन प्रौद्योगिकी स्टार्टअप परिदृश्य में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई हैI खास कर इसे उपभोक्ता प्रौद्योगिकी, मोटर वाहन, मीडिया और मनोरंजन, कृषि प्रौद्योगिकी, ऊर्जा उपयोगिताओं और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में बढ़ावा देने के लिए अभी भी गुंजाइश बाकी है।
उन्होंने कहा कि क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी, उन्नत संचार प्रौद्योगिकियों, स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल परिवर्तन और स्वास्थ्य मिशन में तकनीकी क्रांति का कन्वर्जेन्स वैश्विक ज्ञान गहन अर्थव्यवस्था की दिशा में भारत की प्रगति को बढ़ावा दे रहा है।
बदलाव में विज्ञान की अहम भूमिका
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. एस चंद्रशेखर ने कहा, “विज्ञान भारत के बदलाव में एक अहम भूमिका निभाएगा और यह बदलाव हमारी प्रयोगशालाओं के माध्यम से होगा। इसलिए हम वैज्ञानिकों की यह जवाबदेही है कि हम यह सोचें कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए हमारा विज्ञान कितना प्रासंगिक होगा।“
उन्होंने रेखांकित किया कि विज्ञान को भविष्य के कारखानों और डिजाइन निर्माण के ऐसे तरीकों के बारे में सोचना होगा जो उनके अनुकूल एवं अनुरूप होने के अलावा उत्पादन के साथ इनपुट का इस प्रकार मिलान करें जिससे कचरे को कम से कम किया जा सकेI साथ ही चक्रीय विज्ञान की अवधारणा विकसित करके कृषि प्रौद्योगिकियों का निर्माण करें जिससे सब्सिडी की आवश्यकता को समाप्त कर सकें और वैकल्पिक गतिशीलता विकल्प ढूंढ सकें। साथ ही ये कम प्रदूषण फैलाने वाले भी हों।
डॉ. चंद्रशेखर ने जमीनी-वैश्विक जुड़ाव को विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया, ताकि जमीनी स्तर से निकले समाधान वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए कुछ संकेत दे सकें।
टिकाऊ विकास पर जोर
वहीं सीएसआईआर की महानिदेशक एन कलैसेल्वी ने सफल वैज्ञानिक समाधानों में स्थिरता की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने अगले सात वर्षों में भारत के लिए अहम पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा एवं गतिशीलता, खाद्य और पोषण, वैज्ञानिक कामों में सुगमता और वैज्ञानिक प्रतिभा को आकर्षित करने के साथ और उसे बनाए रखना जैसे कुछ क्षेत्रों में भारत की चुनौतियों तथा अवसरों को रेखांकित किया।
जैविक तरीकों पर भारत
जैव प्रौद्योगिकी विभाग की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अलका शर्मा ने ऐसे जैव–विनिर्माण पर जोर दिया जो औद्योगीकरण की नई लहर के रूप में जीवाश्म ईंधन-से बनने वाले रसायनों की जगह जैविक प्रणालियों का इस्तेमाल करता हो। उन्होंने कहा कि इससे कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी। जिससे एक ऐसा रास्ता मिलेगा जो भारत को टिकाऊपन में दुनिया का अगुआ देश बना देगा।