इंटरनेशनल साइंस फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आईएसएफएफआई)-2022 में देश औऱ विदेश की 13 फिल्मों को पुरस्कार मिला है। इसका आयोजन भोपाल में हुए इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल आठवें संस्करण के साथ 21 से 23 जनवरी तक किया गया था। इस फेस्टिवल में चार भारतीय और नौ विदेशी फिल्मों को पुरस्कृत किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म पुरस्कारों की सतत विकास के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार श्रेणी के तहत पहला पुरस्कार इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स द्वारा बनाई गई अंग्रेजी फिल्म-हानले: इंडियाज फर्स्ट डार्क स्काई रिजर्व को प्रदान किया गया। यह फिल्म लद्दाख के हानले में हाल ही में अधिसूचित भारत के पहले डार्क स्काई रिजर्व के पीछे के विचार को प्रस्तुत करती है।
प्रकाश प्रदूषण एक गंभीर वैज्ञानिक मुद्दा है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह वैज्ञानिक अनुसंधान, खगोलविदों, प्रशासन और स्थानीय समुदाय के सहयोग अंधेरे आसमान को बचाने में काम आ सकता है। इस श्रेणी में दूसरा पुरस्कार कोलकाता के सत्यजीत रे फिल्म एंड टीवी इंस्टीट्यूट द्वारा बांग्ला और अंग्रेजी में बनाई गई फिल्म बोर्शी-द फिश को मिला। यह फिल्म कोलकाता में वेटलैंड में मछली पालन की संभावनाओं को दिखाती है। साथ ही इसमें मछुआरों की स्थिति को भी दिखाया गया है। इसी श्रेणी में तीसरा पुरस्कार अर्जुन रॉय, हर्षवर्धन ओझा एवं अनिमेष पांडेय द्वारा निर्देशित फिल्म मलबा-मलबा को मिला है। यह फिल्म मलबे के ढेर से पैदा होने वाले खतरे को उजागर करती है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नामक दूसरी श्रेणी के तहत पहला पुरस्कार विपुल कीर्ति शर्मा द्वारा निर्देशित फिल्म स्ट्रगल फॉर सर्वाइवल को मिला है। यह फिल्म जमीन पर घोसला बनाने वाली गौरैया के आकार वाली चिड़िया बगेरी और टिटहरी पर केंद्रित है। इस श्रेणी में दूसरा पुरस्कार ब्रिटेन के निर्देशक लिओन मिशेल की फिल्म सीक्रेट्स ऑफ द फॉरेस्ट को मिला है। वही तीसरा पुरस्कार फिलीपींस की फिल्म आई वॉज जस्ट के चाइल्ड को मिला है। इस फिल्म में घातक सुपर टायफून से हुए मानसिक आघात को दिखाया गया है।
बेहतर जीवन के लिए विज्ञान,प्रौद्योगिकी और नवाचार नामक तीसरी श्रेणी में पहला पुरस्कार अमेरिकी फिल्मकार टीफेनी डिटर की फिल्म बायोफिजिकल फील्ड्स मेथड्स:गोबाबेव को मिला है। इसी श्रेणी में दूसरा पुरस्कार भारतीय फिल्मकार दीपक कुमार की फिल्म एक्सप्लोरिंग द ग्रेट इंडियन लीगेसी को मिला है। वहीं तीसरा पुरस्कार विज्ञान प्रसार (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग) द्वारा बनाई गई फिल्म सेविंग द हिमालयन याक को मिला है। इस फिल्म को राकेश अंदानिया ने निर्देशित किया है। बीजू पंकज द्वारा निर्देशित फिल्म वंडर्स ऑफ हेमलकासा को स्पेशल जूरी पुरस्कार मिला।
इसके अलावा तीन स्पेशल जूरी मेंशन पुरस्कार रिक्लेमिंग वेस्टलैंड इन भोपाल, क्राइसिस और आचार्य पीसी रे:द नेशनलिस्ट साइंटिस्ट को दिया गया है।
इस अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्मोत्सव में 59 देशों से विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार पर आधारित कुल 437 फिल्म प्रविष्टियां प्राप्त हुई थी। आईएसएफएफआई के समन्वयक और विज्ञान प्रसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक निमिष कपूर ने बताया कि “विज्ञान फिल्मोत्सव के अंतर्गत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शोध तथा विकास से जुड़े विविध विषयों पर चार श्रेणियों में फिल्म प्रविष्टियां आमंत्रित की गई थीं। प्राप्त 437 प्रविष्टियों में से 61 भारतीय और 33 विदेशी फिल्मों को समारोह के लिए नामांकित किया गया था। भारत, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, रूस, कनाडा, इज़राइल, फिलीपींस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों की पुरस्कृत विज्ञान फिल्मों की विशेष स्क्रीनिंग फिल्मोत्सव में की गई।