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Astronomy

KoSO के 100 साल पुराने डेटा का डिजिटाइजेशन, सूर्य की गतिविधियों समझने में मिलेगी मदद

सबसे पुरानी खगोलीय वेधशालाओं में से एक कोडाइकनाल सौर वेधशाला (KoSO) से लिए गए सूर्य के सबसे लंबे समय तक निरंतर अवलोकनों (ऑब्जर्वेशन) को डिजिटाइज़ किया गया है। इन्हें सामुदायिक इस्तेमाल के लिए भी उपलब्ध कराया गया है। फोटोग्राफिक प्लेटों/फिल्मों पर लिए गए 100 से अधिक सालों के सौर प्रेक्षणों का डिजिटल रिकॉर्ड दुनिया भर के वैज्ञानिकों को सौर परिवर्तनशीलता और जलवायु पर इसके असर के अध्ययन को मजबूत करने में मदद कर सकता है ।

क्यों है अहम

आने वाले समय में हमारे अस्तित्व के लिए सूर्य के भविष्य को समझना अहम है। इस अर्थ में, पिछली सदी के अनुरूप सूर्य के अवलोकन हमें अतीत के बारे में जानने में मदद करते हैं। ये ऐतिहासिक अवलोकन हमें अपने सबसे नजदीक के तारे के पहले चरण में उसके व्यवहार को समझने की सुविधा दे सकते हैं। उसके आधार पर हम सूर्य की गतिविधियों की भविष्यवाणी कर सकते हैं। भविष्य में सूर्य का व्यवहार क्या होगा, इसे समझने से अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए हमारी योजनाओं को आकार मिलेगा। क्योंकि सूर्य हमारे अंतरिक्ष मौसम की स्थिति पर असर डालता है।

बता दें कि KoSO, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) का एक फील्ड स्टेशन है। डेटा में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों के चलते 1921-2011 की अवधि के लिए वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए अहम सनस्पॉट डेटा उपयोग करने योग्य था।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (डीएसटी) के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत दो स्वायत्त संस्थान आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंस, नैनीताल और विभूति कुमार झा के नेतृत्व में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बैंगलोर ने डेटा में इन मुद्दों को हल किया है। इन्होंने लगभग 115 सालों (1904-2017) के लिए सबसे सजातीय और विस्तारित सनस्पॉट डेटा की एक श्रृंखला बनाई है। ये नतीजे जर्नल फ्रंटियर्स इन एस्ट्रोनॉमी एंड स्पेस साइंसेज के हालिया लेख में प्रकाशित हुए हैं।

ये डेटा ओपन सोर्स के रूप में उपलब्ध हैं। इससे दुनिया भर के छात्रों और वैज्ञानिकों को फायजा होगा। यह डेटा सौर समुदाय के लिए अतीत में सूर्य के व्यवहार को समझने के लिए बहुत काम आएंगे। साथ ही धरती पर जीवन चलाने वाले सूर्य के भविष्य की भविष्यवाणी करने के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति होगी।

एरिज के निदेशक और पेपर के लेखकों में से एक ने डॉ. दीपंकर बनर्जी ने कहा, “एक ही टेलीस्कोप से सफेद रोशनी में ली गई सूर्य की तस्वीरों और क्रोमोस्फीयर प्लाज्मा से Ca-K स्पेक्ट्रा के अलावा, हम 100 साल की अवधि में सूर्य के धब्बों की दैनिक रूप से खींची गई तस्वीरों को भी डिजिटाइज़ कर रहे हैं। इन्हें KoSO में संरक्षित किया गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हाथ से बनाई गई तस्वीरों फोटोग्राफ से डेटा निकालने के लिए किया जाएगा। इससे सबसे पुराने, दुर्लभ, निरंतर सौर डेटा में से एक का एक सेट तैयार होगा जो दुनिया के शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी होगा।”

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