आज के युग में तकनीक बहुत तेजी से बदल रही है। हर दिन कुछ ऐसा नया आ रहा है जो हमारी जिंदगी पर असर डाल रहा है। हम कुछ ऐसी ही टेक्नोलॉजी के बारे में बताने जा रहे हैं जो आने वाले दिनों में काफी काम की हो सकती हैं।
नेकरोबोटिक्स
नेकरोबोटिक्स ऐसी टेक्नोलॉजी है जो कुछ-कुछ भुतहा फिल्म की तरह है। इसमें मृत शरीर को रोबोट में बदला जाता है। रिसर्चरों की एक टीम ने एक मृत छिपकली को रोबोट जैसे दिखने वाले ग्रिपर में बदला है। इसमें छिपकली की तरह दूसरी चीजों को पकड़ने की क्षमता है। इसके लिए रिसर्चरों ने मृत छिपकली के शरीर में हवा भरी। फिलहाल ये विचार शुरुआती अवस्था में है। लेकिन भविष्य में मृत जानवरों की इस्तेमाल रिसर्च के लिए हो सकता है।
रेत-बैटरी
रेत वाली बैटरी हमें बताती है कि हर नई तकनीक जटिल नहीं होती है। कुछ सरल होती है और बहुत प्रभावी भी। इस तकनीक को फिनलैंड के इंजीनियरों ने तैयार किया है। उन्होंने रेत को विशालकाय बैटरी में तब्दील किया है। इन इंजीनियरों ने सौ टन बालू को चार गुना सात मीटर के स्टील कंटेनर में भरा। इसके बाद इसे हवा और सौर ऊर्जा से गर्म किया गया। इस गर्मी से बनी बिजली को आसपास की इमारतों में इस्तेमाल किया गया। इस तकनीक को रेसेस्टिव हीटिंग के नाम से जाना जाता है।
सैटेलाइट को अंतरिक्ष में ढकेलना
सैटेलाइट को अंतरिक्ष में पहुंचाने के लिए प्रोपल्जन की जगह उसे ढकेलना का विचार कैसा रहेगा। इस सिस्टम को स्पिनलॉन्च नाम की कंपनी ने विकसित किया है। नासा भी इसकी टेस्टिंग करने जा रहा है। इस तकनीक में सैटेलाइट को अंतरिक्ष में पहुंचाने के लिए काइनेटिक एनर्जी का इस्तेमल किया जाता है। जबकि पारंपरिक रॉकेट में केमिकल ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक के जरिए पैलोड को आठ हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अंतरिक्ष में भेजा जा सकता है। कंपनी का दावा है कि इससे ईंधन और इंफ्रास्ट्रक्चर के खर्च में 70 फीसदी तक की बचत होगी।
जेनोट्रांसप्लांटेशन
यह तेजी से बढ़ती चिकित्सा प्रक्रिया है। इसमें जानवरों की कोशिकाओं, ऊतकों या अंगों को मानव में प्रत्यारोपित करने की क्षमता है। अब तक की गई सबसे आम प्रक्रियाओं में से एक है एक सुअर के दिल को इंसान में लगाना। इसे अब दो बार सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया जा चुका है। हालांकि, रोगियों में से एक केवल कुछ महीनों के लिए जीवित रह सका और दूसरे पर अभी भी निगरानी रखी जा रही है। इन सर्जरी में, दिल को तुरंत मानव में नहीं डाला जा सकता है। पहले जीन-एडिटिंग की आवश्यकता होती है। कुछ जीन को हृदय से बाहर करने की आवश्यकता होती है और मानव जीन को जोड़ने की आवश्यकता होती है। अभी, ये सर्जरी जोखिम भरी हैं और सफलता की कोई गारंटी नहीं हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से तस्वीरें बनाना
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से कई ऐसे काम किए जा रहे हैं, जो इंसान करते हैं। लेकिन अब इस सूची में एक नया नाम आर्ट का जुड़ गया है। OpenAI से जुड़े रिसर्चरों ने ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया है जिसकी मदद से शब्दों को बोल देने या लिख देने से इमेज बनाई जा सकती है। आज सिर्फ डॉग टाइप करें और कुत्ते की तस्वीर बन जाएगी। आप आर्ट की स्टाइल भी चुन सकते हैं।