वैज्ञानिकों ने शुद्ध माइलिन बेसिक प्रोटीन (एमबीपी) मोनोलेयर मनाए हैं। यह माइलिंन शीथ का प्रमुख प्रोटीन घटक है। यह एक सुरक्षात्मक झिल्ली है, जो तंत्रिका कोशिकाओं के अक्षतंतु के चारों तरफ लपेटता है। साथ ही अलग-अलग स्क्लेरोसिस (एमएस) जैसी बीमारियों का अध्ययन करने में आदर्श प्रोटीन के रूप में काम करता है।
एमबीपी माइलिन शीथ को सुसम्बद्ध करने में सहायता देता है और बनाए गए मोनोलेयर मल्टी लैम्लर माइलिन शीथ की संरचना के साथ-साथ शीथ की शुद्धता, स्थिरता और सघनता को संरक्षित रखने का काम करता है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत पूर्वोत्तर भारत के स्वायत संस्थान गुवाहाटी के इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी एंड साइंस एंड टेक्नोलॉजी के भौतिक विज्ञान विभाग के रिसर्च समूह ने लैंगमुइर-ब्लोडेट (एलबी) नामक तकनीक का उपयोग किया, ताकि वायु-जल तथा वायु-ठोस इंटरफेस पर शुद्ध माइलिन बेसिक प्रोटीन के मोनोलेयर बनाए जा सकें।
इस रिसर्च समूह का नेतृत्व एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सारथी कुंडु ने किया। उनके साथ वरिष्ठ रिसर्च फेलो रक्तिम जे. सरमा ने सहयोग किया है। इन्होंने शोध में सब-फेज पीएम स्थितियों को अनुकूल बैठाकर प्रोटीन फिल्मों की स्थिरता और कठोरता पर नजर रखते हुए एमबीपी की बनावट व्यवस्था की व्याख्या की है। अणुओं की उलटने योग्य प्रकृति पीएच स्थितियों के बारे में फिल्मों के लचीलेपन की पुष्टि करती है। वायु जल इंटरफेस पर बने मोनोलेयर के अलग-अलग क्षेत्रों से परिवर्तनीय पीएच स्थितियों के अंतर्गत प्रोटीन के व्यवहार की जांच की गई। मोनोलेयर की कठोरता विशिष्ट डोमेन और जल की सतह पर डोमेन द्वारा अधिग्रहित क्षेत्र के साथ परस्पर संबंधित किया गया था।
जल-वायु तथा एलबी विधि से निर्मित सतहों पर गठित घनिष्ठ रूप से पैक एमबीपी परत प्रोटीन वातावरण के आसपास के क्षेत्र में 2डी विभिन्न रासायनिक तथा भौतिक गुणों के अध्ययन करने में सहायक होगी। एमबीपी की जमा एलबी फिल्मों को रूचि के प्रोटीन को निश्चित रूप देने के लिए प्रोटीन नैनो टैम्प्लेट के रूप में भी माना जा सकता है। यह शोध कार्य हाल में प्रतिष्ठित एलसेवियर प्रकाशकों के अंतर्गत कोलॉयड्स एंड सर्फेस एः फिजियोकेमिकल एंड इंजीनियरिंग आसपेक्ट्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।