भारत में अपने महत्वाकांक्षी चंद्रयान-3 मिशन को अगले महीने प्रक्षेपित करेगा। माना जा रहा है कि जुलाई महीने के आखिरी दिनों में इसका प्रक्षेपण हो सकता है।
इस बात की जानकारी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी है। मीडियाकर्मियों की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने ये जानकार दी।
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा यान
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यदि चीजें योजना के अनुसार चलती रहीं, तो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने महत्वाकांक्षी चंद्रयान-3 मिशन का प्रक्षेपण करेगा। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने से संबंधित महत्वपूर्ण तकनीक का प्रदर्शन करना है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की शुरुआत में चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान ने आवश्यक परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा किया। इन परीक्षणों ने उस कठोर वातावरण का सामना करने की इस अंतरिक्ष यान की क्षमता को मान्यता दी, जिससे उसे अपने प्रक्षेपण और बाद की यात्रा के दौरान गुजरना पड़ेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के पूर्व के चंद्र अभियान चंद्रयान-2 ने पहली बार चांद की सतह पर पानी की मौजूदगी की पहचान करके भारत को वैश्विक पटल पर एक गौरवशाली एवं अग्रणी स्थान दिलाया था। उन्होंने कहा कि अमेरिका की नासा जैसी दुनिया की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा भी इस जानकारी को बहुत महत्व दिया गया था।
विभिन्न पहलुओं का होगा अध्ययन
उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 के बाद का मिशन है। “चंद्रमा का विज्ञान” के विषय के अनुरूप, चंद्रयान में लैंडर और रोवर पर लगे वैज्ञानिक उपकरण चंद्रमा के पर्यावरण और थर्मो-फिजियो गुणों सहित चंद्रमा के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने में सक्षम होंगे। साथ ही, चंद्रयान-3 मिशन में शामिल एक अन्य प्रायोगिक उपकरण पृथ्वी के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने में भी सक्षम हो सकेगा। इस प्रकार, यह एक ही साथ “चंद्रमा से विज्ञान” के विषय को भी प्रेरित करेगा।
आपको बता दें कि वैश्विक अंतरिक्ष एजेंसियों की चांद में फिर से दिलचस्पी सामने आ रही है। इसरो और नासा के साथ कई देशों की एजेंसियां अगले साल तक चांद पर अपने यान भेजने वाली हैं।