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जलवायु परिवर्तन: जी-20 से पहले संयुक्त राष्ट्र का बड़े बदलावों पर जोर

भारत में जी-20 बैठक से ठीक पहले संयुक्त राष्ट्र ने जलवायु परिवर्तन पर चिंता जाहिर करते हुए तुरंत बड़े कदम उठाने पर जोर दिया है। विश्व निकाय की एक अहम समीक्षा के अनुसार, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हमारी दुनिया के काम करने, यात्रा करने, खाने और ऊर्जा के इस्तेमाल के तरीके में तेजी से बदलाव की जरूरत है।

जारी की ग्लोबल स्टॉकटेक रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जांच करके ये रिपोर्ट जारी की है। साल 2015 में हुए पेरिस समझौते के बाद से उत्सर्जन को कम करने के देशों के प्रयासों की जांच करने वाला यह पहली कोशिश है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि अब प्रयासों को बड़े पैमाने पर बढ़ाने की जरूरत है। रिपोर्ट में कार्बन कैप्चर के बिना जीवाश्म ईंधन को तेजी से खत्म करने के साथ बड़े स्तर पर ” डीकार्बोनाइजेशन” की बात कही गई है। दरअसल, बिजली पैदा करने के लिए तेल, गैस और कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड पैदा होती है। इससे जलवायु परिवर्तन बहुत तेजी से हो रहा है।

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि नवीन ऊर्जा उपायों को तेजी से बढ़ाने की जरूरत है, ताकि जंगलों को हो रहे नुकसान को तुरंत रोका जा सके और 2030 तक इस प्रक्रिया की चाल उलटी की जा सके। यूएन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दुनिया जलवायु संकट को रोकने के लिए अपने लक्ष्य पर आगे नहीं बढ़ रही है। यह रिपोर्ट ऐसे वक्त सामने आई है जब दुनिया भर में तापमान तेजी से बढ़ रहा है और ये साल रिकॉर्ड पर सबसे ज्यादा झुलसाने वाला साल रहने वाला है।

रिपोर्ट में 2015 पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों का दो साल तक मूल्यांकन किया गया है। इसी आधार पर कोप-28 में आगे की वार्ता होगी। कोप-28 की बैठक इस साल के आखिर में दुबई में होने वाली है।

लगभग 200 देशों ने 2015 में पेरिस में तापमान में बढ़ोतरी को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2 सेल्सियस से ज्यादा नहीं बढ़ने पर सहमति जताई थी। साथ ही वृद्धि को 1.5 सेल्सियस तक बनाए रखने का प्रयास करने पर सहमति व्यक्त की थी।

पेरिस समझौते के तहत प्रत्येक देश अपने खुद के जलवायु कार्यों को तय करने के लिए जिम्मेदार है। वे यह देखने के लिए 2023 तक एक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर भी सहमत हुए थे कि और क्या किया जाना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि उत्सर्जन में कटौती की मौजूदा राष्ट्रीय प्रतिज्ञाएं तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर रखने के लिए अपर्याप्त हैं। संयुक्त राष्ट्र के आकलन में कहा गया है कि लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इस दशक में 20 गीगाटन से अधिक CO2 कटौती की आवश्यकता है और 2050 तक वैश्विक शुद्ध शून्य की आवश्यकता है। हालांकि इस रिपोर्ट में किसी भी देश का नाम नहीं लिया गया है।

हालांकि रिपोर्ट में ये माना गया है कि बहुत प्रगति हुई है, लेकिन इस सदी के लिए अनुमानित वैश्विक तापमान वृद्धि अभी भी पेरिस में किए गए वादे से काफी ऊपर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लक्ष्यों को हासिल करने के लिए लक्ष्यों में अहम बढ़ोतरी की जरूरत होगी, जिसके लिए व्यापक “सिस्टम परिवर्तन” की आवश्यकता है।

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