भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। संगठन अब मिशन को चांद पर भेजने के लिए सही समय की तलाश कर रहा है। वहीं गगनयान मिशन को लेकर टेस्टिंग चल रही है। ये बातें नागपुर में चल रहे भारतीय विज्ञान कांग्रेस में इसरो के अध्यक्ष डॉ एस सोमनाथ ने कही।
जून-जुलाई में चंद्रयान-3 मिशन
डॉ सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 पूरी तरह तैयार है। ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर रेडी हैं। उन्होंने कहा कि हम सही स्लॉट की प्रतीक्षा कर रहे हैं। शायद ये समय जून-जुलाई के बीच होगा। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 से हमारी उम्मीदें एक जैसी हैं। हमारा मुख्य फोकस ये पक्का करना है कि मिशन सही-सलामत चांद पर उतरे औऱ उससे रोवर अलग हो जाए। क्योंकि ये उद्देश्य पूरा नहीं होने पर दूसरे उद्देश्य पूरे नहीं होंगे। पुराने मिशन से सीखते हुए चंद्रयान-3 में नए सेंसर लगाए गए हैं। इसके साथ ही कुछ सुधार उपाय भी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि मंगल-2 मिशन की जल्द की घोषणा की जाएगी।
गगनयान मिशन
डॉ सोमनाथ ने कहा कि गगनयान मिशन की टेस्टिंग चल रही है। उन्होंने कहा कि जब इंसान को अंतरिक्ष में भेजने की बात हो तो हम कोई भी जोखिम नहीं ले सकते। इसलिए हम पूरी सावधानी बरत रहे हैं। पूरी दुनिया में ऐसे मिशन की पूरी तैयारी करने में कम से कम 10 साल लगते हैं। हमने चार साल का लक्ष्य तय किया है। लेकिन हमें अहसास हुआ कि कुछ तकनीक आसानी से उपलब्ध नहीं है। पर्यावरण से जुड़ी तकनीक और लाइफ सपोर्ट सिस्टम महंगे हैं। इसलिए हम इसे और डेवलप कर रहे हैं। हम मिशन के बारे में चार अतिरिक्त टेस्ट कर रहे हैं। इसमें से कुछ इंसान के साथ औऱ इंसान के बिना होंगे। बिना इंसान वाले मिशन का इस साल आखिर तक टेस्ट किया जाएगा।
वीनस मिशन अभी शुरुआती अवस्था में
इसरो चेयरमैन ने कहा कि वीनस मिशन को भी आकार दिया जा रहा है। एक बार हम इसे परिभाषित कर लें, इसके बाद वैज्ञानिक सवालों पर एख समिति विचार करेगी। फिर एक समिति इसके लागत पर विचार केरगी औऱ दूसरे पहलुओं पर गौर करेगी।
दिखावे में भरोसा नहीं
इसरो अध्यक्ष ने कहा कि हमारा मकसद दिखावा करना नहीं है। हम उपयोगी चीजों और तय लक्ष्यों में ही निवेश करते हैं। हम कम कीमत वाले मॉडल पर काम करते हैं। उन्होंने कहा कि इसरो कम से कम खर्च में अच्छे विज्ञान पर सफलतापूर्वक काम करता है। डॉ सोमनाथ ने कहा कि इसरो फिर से इस्तेमाल में आने वाला रॉकेट, फ्लेक्सिबल सैटेलाइट और कम्युनिकेशन से जुड़े जटिल मसलों और उभरते क्षेत्र में ध्यान में रख कर काम करते हैं।
अंतरिक्ष में मलबा गंभीर समस्या
इसरो अध्यक्ष ने माना कि अंतरिक्ष में मलबा गंभीर समस्या है। लेकिन उन्होंने कहा कि इसका हल खोजने में प्रगति हो रही है। डॉ सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष में 80 फीसदी सैटेलाइट काम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने खत्म होने में सैकड़ों साल लगेंगे। इसलिए हमें ये स्टडी करनी चाहिए कि क्या वे नए मिशन में बाधा बनेंगे क्योंकि अंतरिक्ष में मलबा बुलेट की तरह है। ऐसी स्थिति में इंसानी मिशन खतरनाक हो सकता है। इसलिए अब इन पर चर्चा हो रही है कि किस तरह सैटेलाइट को वापस किस तरह लाया जाए। किस तरह उन्हें डी-ओर्बिट किया जाए औऱ किस तरह उन्हें ग्रेवयार्ड ओर्बिट तक ले जाया जाए। आगे आने वाले दिनों में इसरो तमिलनाडु में लॉन्चिंग स्टेशन बनाने की योजना बना रहा है। एक बार भूमि अधिग्रहण हो जाने पर निर्माण का काम शुरू होगा।