चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना काम पूरा कर लिया है। इसरो ने अब प्रज्ञान को स्लीप मोड में भेज दिया है। यानी हमारा प्रज्ञान फिलहाल चांद पर सो रहा है। स्पेस एजेंसी ने रविवार को ये घोषणा की। इससे पहले इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा था कि मिशन का रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम चंद्रमा पर बेहतरीन तरीके से काम कर रहे हैं।
क्यों भेजा गया स्लीप मोड में
इसरो ने एक्स पर लिखा, “रोवर ने सौंपा गया काम पूरा कर लिया है। इसे सुरक्षित तरीके से पार्क करके स्लीप मोड में रखा गया है। APXS और LIBS पेलोड को भी बंद कर दिया गया है। लैंडर की मदद से इनके डेटा को धरती पर ट्रांसमिट किया जा रहा है।”
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 के एतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग को रविवार को 12 दिन पूरे हो गए। चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरामुथुवेल ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि अब प्रज्ञान और विक्रम को स्लीप मोड में रखा गया है। उन्होंने कहा कि अगर रोवर को देखें तो उसने महज 10 दिन में 100 मीटर की यात्रा पूरी की है। वहीं छह महीने तक चलने वाले दूसरे मिशन भी 100-120 मीटर ही चहलकदमी कर पाए थे। उन्होने कहा कि रोवर और लैंडर के कुछ जरूरी टेस्ट करने हैं।
अब 14 दिन बाद होगी चांद पर सुबह
चांद पर 14 दिनों तक उजाला रहता है। फिर 14 दिन तक अंधेरा रहता है। वहां पर अगला सूर्योदय 22 सितंबर को होने की संभावना है। रोवर और लैंडर की बैटरी पूरी तरह चार्ज है। इन्हें सूरज की तरफ रखा गया है ताकि रोशनी होने पर इनकी बैट्री चार्ज हो सके। इसरो ने एक्स पर लिखा कि उम्मीद है कि दोनों उपकरण सूर्योदय के बाद फिर से उठेंगे और नए तरह के असाइनमेंट करेंगे। अगर ऐसा नहीं होता है, तो चंद्रयान का रोवर वहां भारत का राजदूत बनकर हमेशा के लिए रहेगा।
हालांकि इसरो ने एहतियात बरतते हुए रोवर को दो दिन पहले ही स्लीप मोड में डाल दिया। ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि इसरो ने पहले के दो दिन और बाद के दो दिन को उन 14 दिनों में नहीं गिना जब चांद पर दिन होता है। दरअसल चांद पर 22 अगस्त को पिछली बार दिन की शुरुआत हुई थी।
चंद्रयान-3 की लैंडिंग दूसरे दिन यानी 23 अगस्त को हुई थी। इस तरह दो दिन वहां पूरे हो गए। इसके बाद रोवर और लैंडर ने उम्मीदों से बेहतर काम किया। इसरो के मुताबिक मिशन के सभी उद्देश्य पूरे हो गए हैं। इस दौरान चंद्रयान-3 ने वहां कई तरह के खनिज पदार्थों की खोज की। साथ ही चांद की सतह और उसके अंदर के तापमान का विस्तृत डेटा भेजा है। ये डेटा भविष्य के मिशन के लिए बेहद उपयोगी होने वाले हैं।