साल 2025 तक पूरे देश को डॉपलर वेदर रडार नेटवर्क से कवर किया जाएगा। इससे चरम मौसम की घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी करने में मदद मिलेगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने रविवार को ये घोषणा की। वो भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के 148वें स्थापना दिवस समारोह में बोल रहे थे।
रडार की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के तहत, आईएमडी ने रडार नेटवर्क को बहुत विस्तार दिया है। 2013 में इनकी संख्या महज 15 थी। वहीं 2023 में ये संख्या बढ़कर 37 पर पहुंच गई। अगले दो-तीन सालों में इनकी संख्या 25 और बढ़ जाएगी।
इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल वर्चुअल तौर पर जुड़े। पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने बताया कि आईएमडी ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में डॉपलर वेदर रडार नेटवर्क बढ़ाया है। इससे मौसम की चरम घटनाओं की ज्यादा सटीक भविष्यवाणी में मदद मिलेगी। डॉ जितेंद्र सिंह ने जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के लिए चार डॉप्लर मौसम रडार सिस्टम समर्पित किए। उन्होंने 200 एग्रो ऑटोमेटेड वेदर स्टेशन भी देश को समर्पित किए।
उन्होंने बताया कि कृषि-मौसम विज्ञान सेवाओं के तहत 2025 तक 660 जिला कृषि मौसम विज्ञान इकाइयां (डीएएमयू) स्थापित करने की योजना है। वहीं 2023 में 3,100 ब्लॉकों से बढ़ाकर 2025 में 7,000 ब्लॉक करने का लक्ष्य है।
सटीक भविष्यवाणी से किसानों को मदद
मंत्री ने बताया कि चेतावनी और सलाहकार सेवाएं किसानों और मछुआरों को उनकी अर्थव्यवस्था में सुधार करने में मदद कर रही हैं। इसका पता नेशनल सेंटर फॉर एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च के एक नवीनतम सर्वेक्षण से चलता है। उदाहरण के लिए, मानसून मिशन कार्यक्रम में किए गए निवेश के चलते प्रत्येक एक रुपये के निवेश पर 50 रुपये का रिटर्न मिला है।
मंत्री ने आगे कहा कि गरीबी रेखा से नीचे रह रहे किसानों को विशेष रूप से इसका लाभ हुआ है क्योंकि जिला और ब्लॉक स्तर पर कृषि मौसम सलाह का उपयोग करोड़ों किसानों द्वारा खेती के अलग-अलग चरणों के दौरान प्रभावी ढंग से किया जाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मौसम से जुड़ी सेवाएं लघु और दीर्घकालिक योजना और रणनीति विकास के लिए बहुत अहम हैं। आईएमडी ने कृषि, स्वास्थ्य, जल, ऊर्जा और आपदा जोखिम कम करने के लिए पांच प्रमुख क्षेत्रों में इन सेवाओं को पहले ही शुरू कर दिया है। अब इनका और विस्तार करने की योजना बनाई गई है।
मौसम की सटीक भविष्यवाणी में सुधार
डॉ. जितेंद्र सिंह ने मानसून और चक्रवात सहित मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिए अपने फोकस को लगातार परिभाषित करने के लिए आईएमडी की सराहना की, क्योंकि हमारी जीडीपी अभी भी काफी हद तक कृषि पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि उष्णकटिबंधीय चक्रवात, भारी वर्षा, कोहरा, गर्मी, शीत लहर, आंधी आदि सहित अलग-अलग गंभीर मौसम की घटनाओं के पूर्वानुमान सटीकता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
उन्होंने खास तौर पर इसका उल्लेख किया कि मानसून की सटीक भविष्यवाणी के चलते न सिर्फ अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है बल्कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र में मानसूनी बाढ़ और सूखे के कारण होने वाले नुकसान में भी कमी आई है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले पांच सालों के दौरान विभिन्न गंभीर मौसम घटनाओं के पूर्वानुमान के लिए सटीकता में लगभग 20-40% की वृद्धि हुई है।