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अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए मापन क्षमताओं की कुशलता बढ़ाने पर जोर

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद–राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनपीएल) 21 अप्रैल तक “एक सप्ताह–एक प्रयोगशाला (वन वीक वन लैब- ओडब्ल्यू ओएल)” कार्यक्रम मना जा रहा है। इसका उद्घाटन 17 अप्रैल को केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री और सीएसआईआर के उपाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया था। भारत का राष्ट्रीय माप-पद्धति (मेट्रोलॉजी) संस्थान (एनएमआई) होने के नाते इस संस्थान अर्थात सीएसआईआर-एनपीएल ने एक दिन के कार्यक्रम- “मेट्रोलॉजी कॉन्क्लेव” में माप पद्धति के मुख्य पहलुओं पर प्रकाश डाला।

मौजूदा दौर में मानिकीकरण अहम

मौजूदा समय में माप–पद्धति (मेट्रोलॉजी) और सटीक माप ऐसे प्रमुख तत्व हैं जो उत्पाद की गुणवत्ता को परिभाषित करने के साथ ही मानकीकरण में अहम भूमिका निभाते हैं। देश की अर्थव्यवस्था और इसका विकास इसकी मापन क्षमताओं पर निर्भर करता है। मैट्रोलोजी कॉन्क्लेव का उद्देश्य आम जनता के बीच वास्तविक और सटीक माप के बारे में जागरूकता पैदा करना है और समृद्ध होने के लिए यह देश की जरूरत भी है।

कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि भारतीय मानक ब्यूरो (ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड्स – बीआईएस) के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी, विशिष्ट अतिथि भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया – क्यूसीआई) के निदेशक जक्षय शाह के साथ सीएसआईआर-एनपीएल निदेशक प्रोफेसर वेणुगोपाल अचंता, एक सप्ताह एक प्रयोगशाला की को-ऑर्डिनेटर-ओडब्लूओएल डॉ.रितु श्रीवास्तव, और वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक और कार्यक्रम के संयोजक डॉ. नवीन गर्ग द्वारा किया गया।

सिलिकॉन कचरने से निपटना जरूरी

इस मौके पर प्रो. वेणुगोपाल अचंता ने अपने भाषण में मेट्रोलॉजी के विकास से जुड़े पहलुओं का संक्षिप्त विवरण दिया। उन्होंने माप– पद्धति के क्षेत्र में सीएसआईआर-एनपीएल के विभिन्न प्रयासों के बारे में बताया। प्रो. अचंता के संबोधन की एक प्रमुख विशेषता राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (एनपीएल) की “अपशिष्ट से सम्पदा (वेस्ट टू वेल्थ)” नीति थी जिसका उद्देश्य देश में सिलिकॉन कचरे की बढ़ती मांग के आधार पर बड़े पैमाने पर उत्पन्न होने वाले सिलिकॉन अपशिष्ट से निपटना था।

क्यूसीआई के निदेशक जक्षय शाह ने अपने संबोधन में मेक इन इंडिया उत्पादों की गुणवत्ता और मात्रा के संदर्भ में (कौशल, पैमाने और गति पर ध्यान देने के साथ) प्रधानमंत्री की परिकल्पना “आत्मनिर्भर भारत” को ध्यान में रखते इस बात पर जोर दिया कि हमें न केवल वैश्विक मांगों को पूरा करना चाहिए बल्कि अपनी उत्पाद स्वीकृति दर भी बढ़ानी चाहिए। विश्वसनीयता और गुणवत्ता केवल चार स्तंभों, यानी सीएसआईआर-एनपीएल, विधिक माप-पद्धति, भारतीय मानक ब्यूरो और भारतीय गुणवत्ता परिषद-राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड के समर्थन से पूरी की जा सकती है। यह 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने में भी सहायक बनेगा।

मेट्रोलॉजिकल गतिविधियों पर के बारे में जागरूकता

भारतीय मानक ब्यूरो के महानिदेशक प्रमोद कुमारी तिवारी, ने प्रशिक्षण आयोजित करने, सूक्ष्म लघु एवं माध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को सशक्त बनाने आदि जैसी विभिन्न पहलों के माध्यम से आम जनता के बीच मेट्रोलॉजिकल गतिविधियों के बारे में जागरूकता पैदा करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने आने वाले सालों में प्रशिक्षित कार्यबल तैयार करने का सुझाव दिया और कहा कि हमारे देश के शिक्षण संस्थान माप विज्ञान के क्षेत्र में पाठ्यक्रम बनाने और प्रशिक्षण आयोजित करने की नीति पर काम कर सकते हैं। उन्होंने विभिन्न छात्रों के परीक्षण, अंशशोधन और सत्यापन प्रयोगशालाओं का अखिल भारतीय डेटाबेस बनाने की भी सलाह दी।

इस अवसर पर, प्रसिद्ध वैज्ञानिकों द्वारा भौतिक मात्रा के लगभग सभी क्षेत्रों को उनके मेट्रोलॉजिकल पहलुओं के साथ सम्मिलित करते हुए व्याख्यान दिया गया। इसमें पर्यावरण, भारी इंजीनियरिंग उद्योगों, भारतीय निर्देशक द्रव्य (बीएनडी), स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता, ई-मोबिलिटी और ऊर्जा के लिए माप- पद्धति एवं फोटो-वोल्टाइक मेट्रोलॉजी आदि शामिल हैं। इस कार्यक्रम के दौरान वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनपीएल) की माप-पद्धति में भूमिका तथा किए जा रहे प्रयास एवं भविष्य में विकासशील राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए सीएसआईआर-एनपीएल रोड मैप का भी प्रदर्शन किया गया। सीएसआईआर-एनपीएल में मेट्रोलॉजी में नवीनतम उपलब्धियों पर एक पुस्तिका जारी की गई। इस पुस्तक में वे सभी नए विकास शामिल हैं जो राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (एनपीएल) में हुए हैं और जो छात्रों, शोधकर्ताओं और उद्योग कर्मियों के लिए सहायक होंगे।

“सीएसआईआर-एनपीएल और भविष्य की दिशाओं से अपेक्षाएं” विषय पर एक पैनल चर्चा हुई। यहां भारतीय मानक ब्यूरो, राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज-एनएबीएल), लीगल मेट्रोलॉजी, उद्योगों तथा अनुसन्धान एवं अंशशोधन प्रयोगशालाओं के विशेषज्ञों ने मापन क्षेत्र में अपनी चुनौतियों और एनपीएल द्वारा प्रदान किए जा सकने वाले संभावित समाधान पर चर्चा की। यह एक उपयोगी सत्र था जिसने एक नया सहयोग आयाम खोला जो आने वाले वर्षों में देश के विकास के लिए सहायक होगा। छात्रों के लिए एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और दिल्ली के अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्रों सहित कई अन्य छात्रों ने भाग लिया। वे इन व्याख्यानों से लाभान्वित हुए और उन्होंने मेट्रोलॉजी में करियर बनाने में अपनी रुचि दिखाई। कार्यक्रम पुरस्कार समारोह के साथ समाप्त हुआ और कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए सभी को औपचारिक रूप से धन्यवाद दिया गया।

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