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नमस्कार न्यूज़ इन साइंस के science weekly राउंडअप में आपका स्वागत है।

1) ह्रदय की सेहत के लिए भी लाभकारी है विटामिन डी

अब तक हम जानते थे कि हड्डियों की मजबूती के लिए शरीर में vitamin D का होना बहुत आवश्यक है लेकिन क्या आपको पता है कि हृदय को सेहतमंद रखने के लिए भी vitamin D काफी लाभदायक साबित हो सकता है। हाल ही में चूहों पर किये गए एक ताज़ा अध्ययन की मदद से भारतीय शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया है, अध्ययन के मुताबिक़ vitamin D की कमी से होने वाले insulin प्रतिरोध के कारण हृदय में Glucose और fat जैसे ऊर्जा उत्पादकों का उपयोग बुरी तरह से प्रभावित होता है जिसके कारण heart fail हो सकता है दरअसल insulin एक बेहद उपयोगी hormone है जो मानव रक्त में मौजूद sugars को ऊर्जा में परिवर्तित करता है। विटामिन-डी की कमी और हृदय संबंधी विकारों के बीच की कड़ी का पता लगाने वाले इस शोध को Molecular Nutrition and food research नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

2) साल 2100 तक ख़त्म हो जाएंगे पृथ्वी के छोटे ग्लेशियर्स

अब तक के पर्वतीय glaciers से सम्बंधित एक सबसे बड़े अध्ययन में, अमेरिका और कनाडा के वैज्ञानिकों के एक दल ने अनुमान लगाया है कि दुनिया के अधिकांश छोटे ग्लेशियर इस सदी के आखिर तक यानी 2100 तक ख़त्म हो जाएंगे। ये खोज इस बात की पुष्टि करती है की Intergovernmental Panel on Climate Change (IPCC) द्वारा लगाया गया ये अनुमान बिलकुल सही था की उस समय तक इन छोटे glaciers के पिघलने की वजह से समुद्रों में पानी का स्तर लगभग 12 centimetres तक बढ़ जाएगा। बताया जा रहा है की समुद्री स्तर में इन छोटे
galciers की वजह से होने वाली ये वृद्धि अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड की विशाल बर्फ की चादरों से पिघले पानी के बराबर है।

3) वैज्ञानिकों ने की ततैये की नई प्रजाति की खोज

हाल ही में गोवा में वैज्ञानिकों द्वारा wasp यानि ततैये की नई प्रजाति की पहचान की गई है। बताया जा रहा है की ये प्रजाति कुदक्रममिया के वंश से है…..wasp की इस प्रजाति की खोज के बाद शोधकर्ता और Goa Bird Conservation Network के founder Parag Rangnekar के नाम पर इसका नाम कुदक्रममिया रगनेकारी रख दिया गया है। लम्बे समय से तितलियों पर कर रहे Rangnekar के शोधों की वजह से आज हमारे पास गोवा region की 220 नस्लों का record है जिसमे से 13 नस्ले ऐसी हैं जिनके बारे में आज तक कहीं पर भी कोई ज़िक्र नहीं किया गया है।

4) क्यों ख़ास है विज्ञान की दुनिया में 29 मई ?

और अब बात करते हैं 29 मई 1919 की, विज्ञान के इतिहास में उस दिन ऐसा क्या हुआ था जिसे आज भी दुनिया भर में याद किया जा रहा है । बात दरअसल सौ साल पुरानी है जब ब्रटिश खगोलशास्त्री आर्थर एडिंगटन अफ्रीका के प्रिंसिप आईलैंड पर पहुंचे वहां वे 29 मई को होने वाले पूर्य सूर्यग्रहण को देखने वाले थे, इस सूर्य ग्रहण का टोटलिटी टाइम 6 मिनट 51 सेकेंड का था यानि 6 मिनट 51 सेकेंड तक सूर्य बिल्कुल नहीं दिखने वाला था, ये अब तक के सबसे बड़ा सूर्यग्रहण था, ग्रहण के दौरान ली गई फोटोग्राफ़्स ने एकाएक पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया, क्योंकि इन फोटोग्राफ़्स में एक ऐसा तारा दिखाई दे रहा था जो उस समय सूर्य के पीछे छिपा होना चाहिए था, स्पेस कर्ब के कारण इस सूर्य ग्रहण के दौरान इस तारे को देखा जा सका यह घटना आइंस्टाइन की जनरल थ्योरी आफ़ रिलेटिविटी का साक्षात प्रमाण थी।

सौ साल बाद पिछले हफ्ते इस एतिहासिक दिन को पूरी दुनिया की साइंस कम्यूनिटी ने सैलीब्रेट किया । आपको बता दें ऐसा ही एक पूर्ण सूर्यग्रहण 2 जुलाई को पड़ रहा है जिसकी अवधि 4 मिनट 33 सेकेंड की होगी, हालांकि भारत में इस सूर्य ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा क्योंकि उस समय भारत में रात होगी । लेकिन इसी साल 26 दिसंबर को होने वाले बहुत ही खूबसूरत एन्यूलर सूर्य ग्रहण को दक्षिण भारत में भी देखा जा सकेगा

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