ये तो जानी मानी बात है की इन्सानो मे घाव भरने की रफ्तार अन्य primates कि तुलना मे कम होती है, लेकिन अब एक नए शोध ने इसकी रफ्तार से पर्दा उठाया है। जापान, केन्या और फ़्रांस के वैज्ञानिको द्वारा किए गए एक नए शोध से पता चला है कि इंसानों में घाव भरने की रफ्तार अन्य प्राइमेट्स की तुलना में करीब तीन गुना धीमी होती है। खासकर चिंपांज़ी, बंदर और बबून जैसे जानवर, जो मानव के करीब माने जाते है। शोधकर्ताओ ने यह भी पाया कि, इन सभी primates में घाव जल्द भरने के अलावा दिन में औसतन 0.62 मिलिमीटर की रफ्तार से नए skin की भी वृद्धि होती है, जबकि इंसानों में यह रफ्तार सिर्फ 0.25 मिलिमीटर प्रतिदिन ही पाई गई है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक दूसरे प्राईमेट्स में फर के कारण हेयर फॉलिकल्स की मात्रा ज्यादा होती है, जिसके चलते स्टेम सेल्स भी ज्यादा होते हैं। यह स्टेम सेल्स नई त्वचा को जल्द बनाने में सहायता करते हैं। जबकि इंसानों में कई हेयर फॉलिकल्स की जगह स्वेट गलैंड्स ने ले ली है।