पिछले दिनों दिल्ली में हरित हाइड्रोजन पर तीन दिनों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजना हुआ। इसका आयोजन भारत सरकार और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से हुआ।
हरित हाइड्रोजन पर गहन चर्चा
पूरे सम्मेलन में सात पूर्ण सत्रों, 16 तकनीकी सत्रों और चार पैनल चर्चाओं के साथ 2700 से ज्यादा प्रतिनिधियों और 135 वक्ताओं ने तीन दिनों तक गहन विचार-विमर्श किया। सम्मेलन में शामिल विशेषज्ञों ने हरित हाइड्रोजन पर ध्यान केंद्रित रखा। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि हरित हाइड्रोजन में भारत को ऊर्जा आयातक देश से ऊर्जा प्रदाता और ऊर्जा निर्यातक देश में बदलने की क्षमता है। उन्होंने हरित हाइड्रोजन के लिए पर्याप्त मांग, हरित हाइड्रोजन का उत्पादन और भंडारण करने की क्षमता और इस हरित ईंधन का केंद्र बनने के लिए महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने में भारत की स्थिति का लाभ उठाने पर प्रकाश डाला। पुरी ने यह भी उम्मीद जताई कि दूसरे हरित ईंधन के साथ हरित हाइड्रोजन भारत के मौजूदा 200 अरब डॉलर के ऊर्जा आयात बिल को भविष्य में 300 अरब डॉलर के निर्यात बिल में बदल सकता है।
केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने हरित हाइड्रोजन में आत्म-निर्भरता हासिल करने और टिकाऊ समाधानों को आगे बढ़ाने के लिए सामर्थ्य, पहुंच और स्वीकार्यता के महत्व पर जोर दिया।
जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने हरित हाइड्रोजन और ऊर्जा का वैश्विक निर्यातक बनने की भारत की क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने वर्ष 2030 तक हरित हाइड्रोजन की लागत को 4.5 डॉलर प्रति किलोग्राम से घटाकर 1 डॉलर प्रति किलोग्राम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने हरित हाईड्रोजन अपनाने में नेतृत्व करने के लिए तेल कंपनियों और रिफाइनरियों की सराहना की। इसके साथ ही सीमेंट और स्टील जैसे निजी क्षेत्रों को भी इसका अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया। भारत सहित 16 देश पहले ही अपनी हरित हाइड्रोजन कार्य योजना को सार्वजनिक कर चुके हैं। उन्होंने हरित हाइड्रोजन की बढ़ती मांग पर प्रकाश डाला, जिसके 2050 तक पांच गुना बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन के उपयोग के लिए भारत-केंद्रित जीवन चक्र आकलन और बुनियादी ढांचे के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) में सचिव भूपिंदर भल्ला ने हरित हाइड्रोजन की अपार क्षमता और भारत के ऊर्जा परिदृश्य पर इसके परिवर्तनकारी प्रभाव को माना। भल्ला ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया और साझेदारी, सहयोग एवं नवीन विचारों को बढ़ावा देने में इस सम्मेलन की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन और हरित हाइड्रोजन मिशन सतत विकास को बढ़ावा देने और स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा बदलाव में तेजी लाने के लिए अनुसंधान एवं विकास पहल, प्रायोगिक परियोजनाओं और अनुकूल नीतियों का मार्ग प्रशस्त करेगा।
हरित हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और संबंधित मिशन ने स्वच्छ और हरित ऊर्जा के स्रोतों में बदलाव में तेजी लाने के लिए एक साझा दृष्टिकोण की नींव रखी है।