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अंतरिक्ष, ड्रोन और भू-स्थानिक नीति से तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ेगा भारत

विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि अंतरिक्ष, ड्रोन और भू-स्थानिक नीति की तिकड़ी भारत को अगले कुछ सालों में प्रमुख तकनीकी शक्ति के रूप में आगे बढ़ाएगी। दिल्ली में “राष्ट्रीय विकास के लिए भू-स्थानिक नीति” विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने ये बात कही।

कई ऐतिहासिक फैसले

जितेंद्र सिंह ने कहा, “जून 2020 में निजी भागीदारी के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलना, फरवरी 2021 में भू-स्थानिक डेटा के लिए लचीले दिशानिर्देश जारी करना और दिसंबर 2022 में भू-स्थानिक नीति को अंतिम मंजूरी देना और उदारीकृत ड्रोन नियम, इसके बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित ड्रोन संशोधन नियम -2022, ये सभी परिवर्तनकारी निर्णय मई, 2019 के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान हुए हैं।” उन्होंने कहा कि भू-स्थानिक तकनीक 21वीं सदी के भारत में बदलाव का एक साधन बनने जा रही है। इस तकनीक से एक तरफ राजस्व बढ़ेगा। वहीं इससे रोजगार के बड़े अवसर भी पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार, 2021 में भारतीय भू-स्थानिक अर्थव्यवस्था ने देश भर में लगभग 5 लाख लोगों को रोजगार दिया। साल 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 10 लाख से अधिक होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि कृषि, पर्यावरण संरक्षण, बिजली, पानी, परिवहन, संचार और स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में भू-स्थानिक जानकारी की अहम भूमिका है।

निजी क्षेत्र की भूमिका अहम

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश के भू-स्थानिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में निजी क्षेत्र की भूमिका बहुत अहम होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि विभिन्न भू-स्थानिक/स्थान-आधारित समाधानों से संबंधित नागरिकों की आवश्यकताओं को मुख्य रूप से निजी क्षेत्र द्वारा एसओआई और विभिन्न भू-स्थानिक डेटा थीम के नोडल मंत्रालयों और एजेंसियों के साथ एक सुविधाजनक भूमिका में पूरा किया जाना है। मंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र को भू-स्थानिक के निर्माण और रखरखाव और अवसंरचना के मानचित्रण, इनोवेशन और प्रक्रिया में सुधार और भू-स्थानिक डेटा के मुद्रीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।

इस क्षेत्र में आएंगे कई स्टार्ट-अप

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव डॉ. चंद्रशेखर ने कहा कि भारतीय सर्वेक्षण भू-स्थानिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए निजी क्षेत्र द्वारा डेटा के संग्रह और मिलान के लिए बेसलाइन प्रदान करेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले सालों में इस क्षेत्र में अधिक से अधिक स्टार्ट-अप खुलेंगे, जिससे रोजगार के अवसर बहुत ज्यादा बढ़ेंगे।

अंतरिक्ष विभाग के सचिव, डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा कि नई पीढ़ी के आने के साथ विभिन्न क्षेत्रों में भारत को डिजिटल इंडिया में बदलने के लिए भू-स्थानिक एक अहम अंग होगा। 2015 में प्रधानमंत्री द्वारा विज्ञान भवन में इसरो और लाइन मंत्रालयों के साथ बुलाए गए विचार-मंथन सत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह बैठक एक महत्वपूर्ण मोड़ थी और आज केंद्र सरकार के प्रत्येक मंत्रालय/विभाग के पास कम से कम एक अंतरिक्ष परियोजना है। डॉ. सोमनाथ ने कहा, अंतरिक्ष और ड्रोन नीतियों के बाद, भू-स्थानिक भारत को एक डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदलने के भव्य अहसास में मदद करेगा।

भू-स्थानिक नीति के कुछ अहम एप्लिकेशन

ग्रामीण विकास मंत्रालय के डिजिटल इंडिया भूमि संसाधन आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) ने बड़ी संख्या में भू-संदर्भित मानचित्रों को डिजीटल और भू-संदर्भित करने के साथ विशाल स्थानिक डेटा का निर्माण किया है। भारत का प्रमुख कार्यक्रम ‘नमामि गंगे’ नदी बेसिन प्रबंधन और नदी के किनारे प्रस्तावित संरक्षित और नियामक क्षेत्रों को विनियमित करने के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है। पंचायती राज मंत्रालय की स्वामित्व योजना के तहत, ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्रों के बड़े पैमाने पर मानचित्रण ने गांव की संपत्ति का टिकाऊ रिकॉर्ड बनाया है जो व्यापक ग्रामीण स्तर की योजना में मदद करेगा।

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