जापान ने शनिवार को सफलतापूर्वक चांद के लिए अपना मिशन लॉन्च किया। इस साल जापान की यह चौथी कोशिश है। खराब मौसम के चलते जापान को पिछले लॉन्च रद्द करने पड़े थे।
चांद के लिए जापान के मिशन का नाम “मून स्नाइपर” है। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो ये मिशन फरवरी में चांद पर लैंड करेगा। पिछले सा भी जापान दो बार चांद पर पहुंचने की कोशिश में असफल हुआ था। इससे उसका स्पेस मिशन खटाई में पड़ गया था। अगर फरवरी में जापान का मिशन चांद पर सफलतापूर्वक लैंड कर जाता हैस तो वो अमेरिका, रूस, चीन और भारत के बाद ऐसा करने वाला पांचवां देश होगा।
फरवरी में लैंड करने की संभावना
यहां पर अभी तक कोई भी देश नहीं पहुंचा है। जापान का यान शियोली कार्टर के 100 मीटर के दायरे में लैंड करेगा। माना जा रहा है कि मिशन चार महीने बाद चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा। इसके बाद यह एक महीना तक चांद का चक्कर लगाएगा और फिर फरवरी में लैंड करने की कोशिश करेगा।
जापान ने इस मिशन पर 100 मिलियन डॉलर खर्च किए हैं। जापान चांद पर कम खर्च में हल्के यान उतारने की अपनी क्षमता दुनिया को दिखाना चाहता है। मिशन के साथ एक्स-रे इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कॉपी (XRISM) सैटेलाइट भी भेजा गया है। यह सैटेलाइट जापान, अमेरिका और यूरोपीय स्पेस एजेंसी की साझा कोशिश है। सैटेलाइट में बस के साइज का टेलिस्कॉप भी है। यह सैटेलाइट धरती के चक्कर लगाकर ब्लैक होल के अध्ययन करेगा।
पिछले साल नवंबर में, जापानी स्पेस एजेंसी ने अपने OMOTENASHI अंतरिक्ष यान से संपर्क खो दिया और चंद्रमा लैंडिंग मिशन को रद्द कर दिया। अभी हाल ही में अप्रैल में, एक निजी जापानी स्टार्ट-अप, आईस्पेस, अपने हकुतो-आर लैंडर को उतारने में विफल रहा क्योंकि उसका भी अंतरिक्ष यान से संपर्क टूट गया था। इस साल दो परीक्षण रॉकेट प्रक्षेपण भी सफल नहीं हो सके थे। हाल ही में जुलाई में इंजन की विफलता के कारण एक यान में विस्फोट हुआ था।
जापान ने अपना मिशन ऐसे वक्त लॉन्च किया है, जब भारत ने पिछले महीने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करा कर इतिहास रच दिया था। भारत का मिशन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा था। इसके साथ ही भारत उन देशों में शामिल हो गया है, जिसने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करके अपनी अंतरिक्ष क्षमता को प्रदर्शित किया है। चंद्रयान-3 की लैंडिंग 23 अगस्त को हुई थी। इसके बाद रोवर और लैंडर ने उम्मीदों से बेहतर काम किया। इसरो के मुताबिक मिशन के सभी उद्देश्य पूरे हो गए हैं। इस दौरान चंद्रयान-3 ने वहां कई तरह के खनिज पदार्थों की खोज की। साथ ही चांद की सतह और उसके अंदर के तापमान का विस्तृत डेटा भेजा है। ये डेटा भविष्य के मिशन के लिए बेहद उपयोगी होने वाले हैं।