केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि प्रौद्योगिकी संचालित शासन को बढ़ावा देने के लिए भू-स्थानिक टेक्नोलॉजी को शामिल कर सिविल सेवकों की क्षमता बढ़ाई जाएगी। इसके लिए हमारे पास और दुनिया भर में उपलब्ध सबसे नई टेक्नोलॉजी को चुना जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिलचस्पी को देखते हुए ये फैसला लिया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय भू-सूचना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जियो-इंफॉर्मेटिक्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी – एनआईजीएसटी), हैदराबाद के पास सिविल सेवा के निर्माण में अहम भूमिका निभाने के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों में पर्याप्त क्षमता और विशेषज्ञता उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (नेशनल जिओस्पैचियल पालिसी – एनजीपी) 2022 के अनुसार, भू-स्थानिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में ऑनलाइन पाठ्यक्रम आईजीओटी (iGoT) कर्मयोगी मंच के माध्यम से उपलब्ध कराए जाने हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने हैदराबाद में संस्थान की सुविधाओं का दौरा किया और वहां संकाय सदस्यों एवं प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत की। एनआईजीएसटी और इसकी विभिन्न सुविधाओं, संचालित पाठ्यक्रमों आदि के बारे में केंद्रीय मंत्री के समक्ष एक व्यापक प्रस्तुति भी दी गई।
राष्ट्रीय भू-सूचना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जियो-इंफॉर्मेटिक्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी – एनआईजीएसटी) में अपनी बातचीत के दौरान डॉ. सिंह ने कहा कि एनआईजीएसटी आधारभूत भू-स्थानिक प्रणाली (जीआईएस), ड्रोन सर्वेक्षण और मानचित्रांकन (मैपिंग), जीआईएस विश्लेषण, भूमि सर्वेक्षण, भू सम्पत्ति मानचित्रांकन (कैडस्ट्राल मैपिंग), वैश्विक नौवहन उपग्रह प्रणाली (ग्लोबल नेविगेशनल सॅटॅलाइट सिस्टम – जीएनएसएस) डिजिटल मैपिंग, लिडार (एलआईडीएआर) मैपिंग, उपयोगिता (यूटिलिटी) मैपिंग, त्रि–आयामी नगरीय (3डी-सिटी) मैपिंग, जियोइड मॉडलिंग, निरंतर संचालित सन्दर्भ केंद्र (कंटीन्यूअस ऑपरेटिंग रेफेरेन्स स्टेशन – सीओआरएस) नेटवर्क आदि द्वारा सर्वेक्षण के क्षेत्रों में दक्षताओं और भूमिका आधारित शिक्षा के साथ सिविल सेवा प्रशिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ा सकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (एनजीपी), 2022 ने राष्ट्रीय विकास और आर्थिक समृद्धि का समर्थन करने के लिए भू-स्थानिक पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र विकास के लिए व्यापक रूपरेखा निर्धारित की है। उन्होंने कहा कि इसने पूरे देश में भू-स्थानिक कौशल और ज्ञान मानकों को विकसित करने पर जोर दिया है क्योंकि नीति में भू-स्थानिक पेशेवरों, उनके प्रशिक्षण और भू-स्थानिक और संबद्ध प्रौद्योगिकी के विविध क्षेत्रों में विकास की आवश्यकता बताई गई है।
राष्ट्रीय भू-सूचना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जियो-इंफॉर्मेटिक्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी –एनआईजीएसटी) को पहले भारतीय सर्वेक्षण और मानचित्रण संस्थान (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ सर्वे एंड मैपिंग–आईआईएसएम) के रूप में जाना जाता था। भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अंतर्गत एक सर्वेक्षण और मानचित्रण प्रशिक्षण संस्थान है, जो पिछले 50 सालों में थाईलैंड, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, सऊदी अरब और ओमान जैसे विभिन्न देशों एवं केंद्र और राज्य के मंत्रालयों /एजेंसियों, सुरक्षा एजेंसियां, निजी उद्योग आदि में अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रशिक्षण तथा क्षमता निर्माण के लिए जाना जाता है।