मछली को प्रोटीन और ओमेगा 3-फैटी एसिड का सबसे बेहतर स्रोत माना जाता है। यह कुपोषण को कम करने की प्रचुर क्षमता भी प्रदान करता है। वहीं जलीय खेती सबसे तेजी से बढ़ते खाद्य उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। प्रोटीन की बढ़ती मांग को पूरा करने में इसकी बहुत बड़ी भूमिका है।
इसके अलावा, यह सेक्टर देश में लगभग 3 करोड़ मछुआरों और मछली किसानों को आजीविका और रोजगार प्रदान करता है। इस क्षेत्र में विकास की असीम संभावनाओं को देखते हुए और नीली क्रांति लाने के लिए, भारत सरकार ने 20,050 करोड़ रुपये के निवेश के साथ एक प्रमुख स्कीतम ‘‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई)’’ लागू की है। यह देश में मछली पालन और जलीय खेती क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक निवेश है।
बीमारियों से मछली पालकों को नुकसान
रोग जलीय खेती के विकास में एक गंभीर बाधा हैं। जलीय जीवों के रोगों के कारण किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होता है। ऐसी बीमारियों के नियंत्रण के लिए जल्दी पता लगाना अहम माना जाता है। इसे सिर्फ उचित निगरानी कार्यक्रम के जरिए ही हासिल किया जा सकता है। रोग निगरानी के महत्व को स्वी कार करते हुए, जलीय जीवों के रोगों के लिए एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय निगरानी कार्यक्रम (एनएसपीएएडी) को साल 2013 में हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के जरिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग द्वारा सहायता प्रदान की गई थी।
किसानों को सलाह देने के लिए ऐप
एनएसपीएएडी के तहत किसान आधारित रिपोर्टिंग को और मजबूत बनाने के लिए एक ‘‘रिपोर्ट फिश डिजीज’’ ऐप विकसित किया गया है। इस ऐप को हाल ही में 28 जून, 2023 को भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला द्वारा लॉन्च किया गया है। इस इनोवेटिव ऐप का इस्तेमाल करके किसान अपने खेतों में फिनफिश, झींगा और मोलस्क में रोग के मामलों की रिपोर्ट क्षेत्रीय स्तर के अधिकारियों और मछली स्वास्थ्य विशेषज्ञों को कर सकते हैं और अपने खेतों में रोग की समस्या के शीघ्र समाधान के लिए वैज्ञानिक पा सकते हैं। यह ऐप मछली कृषकों, प्रक्षेत्र-स्तर के अधिकारियों और मछली स्वास्थ्य विशेषज्ञों को कनेक्टर करने के लिए एक केन्द्रीमय मंच होगा।
किसानों के सामने आने वाले रोगों की समस्या को समझने के लिए इस तरह के ऐप का विकास पूरे मछली पालन करने वाले समुदायों को अपनी समस्या साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करना प्रधानमंत्री के ‘‘डिजिटल इंडिया’’ के विजन को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम है। यह परिकल्पना की गई है कि ‘‘रिपोर्ट फिश डिजीज’’ की पहुंच देश के सबसे सुदूर स्थानों में स्थित सभी मछली पालन समुदायों तक होगी, ताकि जलीय पशुओं में प्रत्येक रोग के मामले की सूचना दी जा सके, उनकी जांच की जा सके और समय पर उन्हें वैज्ञानिक सलाह प्रदान की जा सके, ताकि रोग की समस्या का निदान किया जा सके। किसानों द्वारा जिन समस्याओं पर पहले ध्यान नहीं दिया जाता था या रिपोर्ट नहीं की जाती थी, वे विशेषज्ञों तक पहुंचेंगी और न्यूनतम समय के भीतर समस्या का समाधान किया जाएगा। इस प्रकार रोगों के प्रकोप के कारण जो आर्थिक हानि हो रही थी, वह बहुत सीमा तक कम हो जायेगी, जिससे मत्य् कृषकों की आय बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
14 राज्यों में हुआ था शुरू
एनएसपीएएडी जलीय कृषि महत्व के 14 राज्यों में शुरू किया गया था और इसमें 24 सहयोगी केन्द्रए शामिल थे। इसे आईसीएआर-राष्ट्रीय मछली आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो द्वारा समन्वित किया जा रहा है। देश में जलीय जीवों के रोग निगरानी कार्यक्रम को और मजबूत करने के लिए, तीन साल की अवधि के लिए 33.778 करोड़ रुपये की कुल लागत के साथ एनएसपीएएडी का दूसरा चरण पीएमएमएसवाई के तहत अखिल भारतीय कवरेज और राज्य मत्स्य पालन विभाग और समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की सक्रिय भागीदारी के साथ समर्थित है। इस कार्यक्रम को 27 फरवरी, 2023 को आईसीएआर-सीआईबीए, चेन्नई में भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के केन्द्री य मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला द्वारा सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।