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Research

पृथ्वी पर कितना पानी है, पता लगाएगा नासा का ये सैटेलाइट

न्यूज इन साइंस ब्यूरो।

धरती पर पानी कहां-कहां है? इसका परीक्षण करने के लिए नासा ने एक सैटेलाइट भेजा है। इस सैटेलाइट का निर्माण नासा और फ्रांस की स्पेस एजेंसी ने मिलकर किया है। इसमें कनाडा और ब्रिटेन की स्पेस एजेंसियों की भी मदद मिली है। शुक्रवार को छोड़ा गया द सरफेस वाटर एंड ओशियन टोपोग्राफी (SWOT) स्पेसक्राफ्ट धरती पर पानी के लगभग सभी स्त्रोतों का परीक्षण करेगा।

ऐसे करेगा काम

स्पेसक्राफ्ट हर 21 दिनों में कम से कम एक बार 78 डिग्री दक्षिण और 78 डिग्री उत्तरी अक्षांश के बीच पूरी पृथ्वी की सतह को कवर करेगा। यान हर दिन लगभग 1000 जीबी डेटा भेजेगा। नासा के अर्थ साइंस डिवीजन के डायरेक्टर कैरन जरमैन ने कहा कि यह सैटेलाइट इस बात का सबूत है कि हम विज्ञान और तकनीकी इनोवेशन के जरिए किस तरह पृथ्वी पर जीवन को बेहतर बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो डेटा मिलेगा, वह हमारी समझ को बेहतर करेगा कि पृथ्वी की हवा, पानी औऱ इको-सिस्टम किस तरह एक-दूसरे से इंटरैक्ट करते हैं और किस तरह लोग हमारी बदलती पृथ्वी पर जीवन जी रहे हैं।

ताजे पानी के बारे में मिलेगी जानकारी

इस मिशन से पृथ्वी पर मौजूद ताजे पानी के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलेगी। यह धरती पर मौजूद 15 एकड़ से बड़ी 95 फीसदी झील के बारे में जानकारी देगा। साथ ही 100 मीटर से ज्यादा चौड़ी नदियों के बारे में भी पूरे डेटा हासिल होंगे। फिलहाल रिसर्चरों के पास महज कुछ हजार झीलों का ही डेटा है। इस मिशन के बाद ये संख्या लाखों में पहुंच जाएगी।

समुद्र के बारे में भी मिलेगी जानकारी

वहीं यान से समुद्र के स्तर पर जानकारी प्रदान करेगा। खासकर उन क्षेत्रों में जहां लहरों को मापने की सुविधा नहीं है। समय के साथ, यह डेटा शोधकर्ताओं को समुद्री जल के स्तर में वृद्धि को बेहतर ढंग से ट्रैक करने में मदद कर सकता है। इससे समुदाय और तटीय पारिस्थितिक तंत्र सीधे प्रभावित होता है।

बाढ़ और सुखाड़ की बेहतर जानकारी

इस मिशन से बाढ़ और सुखाड़ के बारे में भी बेहतर जानकारी मिल सकेगी। इससे शोधकर्ताओं और नीति-निर्माताओं को संसाधानों का बेहतर इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी। यान यह जानकारी भी मुहैया कराएगा कि पानी कहां है, पानी कहां से आ रहा है और किधर जा रहा है। इससे रिसर्चर बाढ़ का पूर्वानुमान लगाने में बेहतर स्थिति में होंगे। साथ ही वे झीलों और नदियों पर बाढ़ के असर को भी बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।

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