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रूस ने भी चांद के लिए रवाना किया मिशन, 21 अगस्त को हो सकती है सॉफ्ट लैंडिंग

रूस ने 47 साल में पहली बार अपना मून मिशन लॉन्च किया है। इसका नाम लूना 25 है। शुक्रवार को भेजा गया यह यान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी होने की संभावना का पता लगाने के लिए भारत ने भी 14 जुलाई को चंद्रयान-3 भेजा है। इसके 23 अगस्त को वहां उतरने की संभावना है।

47 साल में पहला चंद्र मिशन

बीते 47 साल में चांद पर अंतरिक्ष यान भेजने की रूस की ये पहली कोशिश है। इससे पहले रूस ने 1976 में अपना पहला मून मिशन लॉन्च किया था।
रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कॉस्मॉस के मुताबिक़ लूना-25 को सोयुज 2.1वी रॉकेट से वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया। ये जगह मॉस्को से करीब 5,550 किमी दूर पूर्व में है।

लूना-25 में रोवर और लैंडर हैं। लैंडर का वजन 800 किलो है। लूना-25 पहले सॉफ्ट लैंडिंग की प्रैक्टिस करेगा। फिर यह चांद की मिट्टी के नमूने लेगा और उनका विश्लेषण करेगा। यह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर एक साल तक काम करेगा। हाल के कुछ सालों में नासा और दूसरी अंतरिक्ष एजेंसियों ने चांद पर बर्फ होने के निशान पाए हैं।

रोस्कॉस्मॉस ने सॉफ्ट-लैंडिंग टेक्नो लॉजी विकसित करने को मिशन का मकसद बताया। रूस के स्पेस चीफ यूरी बोरिसोव ने कहा कि लूना-25 21 अगस्त को चांद की सतह को छू सकता है।

वहीं चंद्रमा की सतह पर सॉफ़्ट लैंडिंग के लिए निकला भारत का चंद्रयान-3 बीते महीने 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया गया था। चंद्रयान की 23 अगस्त को चांद की सतह पर सॉफ़्ट लैंडिंग हो सकती है।

लेकिन सवाल उठता है कि लगभग एक महीने के बाद भी लॉन्च होकर लूना-25, चंद्रयान-3 से पहले चांद पर किस तरह पहुंचेगा?

रूस का मिशन चांद का सफर साढ़े पांच दिन में पूरा करेगा। वहां वह 100 किलोमीटर के कक्ष में तीन से सात दिन बिताने के बाद चांद की सतह पर उतरेगा।

वहीं चंद्रयान-3 मिशन, लूना-25 मिशन से बाद में चांद की सतह पर पहुंच सकता है। इसकी वजह ये है चंद्रयान-3 लूना-25 मिशन की तुलना में लंबे रास्ते से जा रहा है।

दरअसल चंद्रयान-3 अपने सफर के ज़रिए पृथ्वी और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का फायदा उठाना चाहता है।

दूसरी तरफ, इसरो ने लूना-25 की सफल लॉन्चिंग पर रोस्कॉस्मॉस को बधाई दी है।

इसरो ने ट्वीट कर लिखा है- लूना-25 की सफल लॉन्चिंग पर रोस्कॉस्मॉमस को बधाई। अपनी अंतरिक्ष यात्राओं में मिलन होना अद्भुत है।

अभी तक के सभी मून मिशन इसके इक्वेटर तक ही पहुंचे हैं। पहली बार होगा कि कोई मिशन चांद के इसके दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।

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