केंद्रीय बजट में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को 16,361.42 करोड़ रुपए का आवंटन प्राप्त हुआ है। यह पिछले बजट अनुमान से 15% ज्यादा है।
इस बढ़ोतरी का बड़ा हिस्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) को गया है। विभाग को 7,931.05 करोड़ रुपए मिले हैं, जो पिछले साल से 32.1% अधिक है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पास कोविड-19 महामारी के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका थी। खासकर टीकों, चिकित्सा उपकरणों और दवाओं पर रिसर्च और इनोवेशन के लिए।
डीएसटी के अलावा, इसमें जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) शामिल है, जिसे 2,683.86 करोड़ रुपए का आवंटन मिला है। पहले के मुकाबले यह 3.9% ज्यादा है। वहीं वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर), को 5,746.51 करोड़ रुपए मिले हैं। यह रकम पहले के मुकाबले 1.9% ज्यादा है।
डीएसटी की अधिकांश वृद्धि नेशनल रिसर्च फाउंडेशन को ₹2,000 करोड़ के आवंटन से मिली है। सरकार ने 2021 में इस इकाई की घोषणा पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ “अनुसंधान से संबंधित संस्थानों की शासन संरचना को मजबूत करने और अनुसंधान और विकास, शिक्षा और उद्योग के बीच संबंधों में सुधार करने के लिए की थी।
डीबीटी के तहत बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बीआईआरएसी) के फंड में 40% की कटौती हुई है। यह सरकार के ‘मिशन कोविड सुरक्षा’ के तहत 2020 में कोविड-19 वैक्सीन विकसित करने और वैक्सीन निर्माण को बढ़ाने के लिए एक कार्यान्वयन निकाय है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को 3,319.88 करोड़ रुपए मिले हैं, जो 25.11% की बढ़ोतरी दिखाती है।
ये मंत्रालय और विभाग देश में अनुसंधान और विभिन्न क्षेत्रों में इसके अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने, समर्थन करने और इसे बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार हैं।
अनुसंधान और विकास पर भारत का सकल व्यय (जीईआरडी) में 2009-2010 से लगातार गिरावट आ रही है। , इसमें राज्य सरकार और निजी क्षेत्र के निवेश भी शामिल हैं। इससे अनुसंधान और विकास में सार्वजनिक क्षेत्र का ज्यादा निवेश राष्ट्रीय अनुसंधान समुदाय की दीर्घकालिक मांग बन गया है।
इस बीच, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को बजट 2023 में 3079.40 रुपये प्राप्त हुए। भारत अपने नेट-जीरो लक्ष्यों तक पहुंचने पर जोर दे रहा है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन अर्थव्यवस्था को कम कार्बन तीव्रता और हरित अर्थव्यवस्था में बदलने की सुविधा प्रदान करेगा। इसके लिए 19,700 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य 2030 तक पांच एमएमटी के वार्षिक उत्पादन तक पहुंचना होगा। वहीं एनर्जी ट्रांजिशन तथा नेट-जीरो उद्देश्योंप और ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में प्राथमिकता प्राप्तक पूंजीगत निवेशों के लिए 35,000 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है।