अरब सागर से उठे सुपर साइक्लोन बिपरजॉय से होने वाले नुकसान से बचने के लिए तैयारियां जोरों पर है। माना जा रहा है कि यह सुपर साइक्लोन 15 जून को गुजरात तट से टकराएगा। इसे लेकर भारतीय मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
सबसे लंबे तूफानों में एक
यह साइक्लोन अरब सागर से उठा है। 6 जून को यह चक्रवात बना था। 15 जून को इसके गुजरात तट से टकराने की संभावना है। इस दौरान 10 दिनों का लंबा वक्त है। इसलिए इसे हाल के दशकों में भारत को प्रभावित करने वाले ऐसे चक्रवात के रूप में देखा जा रहा है, जिसका असर सबसे लंबे समय तक दिख सकता है।
एक स्टडी के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग के असर के चलते अरब सागर के ऊपर चक्रवाती तूफान लगातार और गंभीर होते जा रहे हैं। इसी अध्ययन में यह भी पाया गया कि अरब सागर में चक्रवात लंबे समय तक बने रहते हैं। इससे ज्यादा गंभीर तूफानों की संभावना बढ़ गई है।
अवधि में 80 फीसदी की बढ़ोतरी
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक “उत्तरी हिंद महासागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बदलती स्थिति” पर हुए अध्ययन में कहा गया है कि पिछले चार दशकों में अरब सागर में चक्रवातों की अवधि में 80% की वृद्धि हुई है। बहुत गंभीर चक्रवातों की अवधि में 260% की बढ़ोतरी हुई है। 2021 में इस अध्ययन को पुणे के भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किया था।
अध्ययन के लेखकों में से एक रोक्सी मैथ्यू ने कहा कि चक्रवात की लंबी अवधि खुले समुद्र में मछली पकड़ने के दिनों की संख्या को प्रभावित करती है। इस तरह की मछली पकड़ने आमतौर पर मानसून के पूर्व और बाद के महीनों में होती है। इस अवधि के दौरान चक्रवातों की उच्च आवृत्ति और लंबी अवधि के दौरान मछली पकड़ने के दिनों की संख्या कम हो जाती है।
इस वजह से तूफान होते हैं गंभीर
समुद्र के ऊपर कोई चक्रवाती तूफान जितना ज्यादा समय तक रहता है, उतनी ही अधिक ऊर्जा और नमी जमा होने की संभावना होती है। इससे तूफान के और अधिक गंभीर होने और जमीन से टकराने के बाद विनाश होने की संभावना बढ़ जाती है।
भारतीय मौसम विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि बिपारजॉय, जो वर्तमान में तीव्रता के मामले में एक अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान है, सिस्टम के दोनों ओर स्टीयरिंग हवाओं और एंटी-साइक्लोनिक सर्कुलेशन के कारण विशेष रूप से धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। इसी वजह से यह अनुमान लगा पाना मुश्किल था कि यह किस जगह पर जमीन से टकराएगा।
इसी अध्ययन में भी पाया गया था कि चक्रवातों की आगे बढ़ने की गति अरब सागर में कम हो गई है। इसने 1982 के बाद से अरब सागर में चक्रवातों की संख्या में 52% की वृद्धि दर्ज की, साथ ही बहुत गंभीर चक्रवातों में 150% की वृद्धि हुई। वहीं, बंगाल की खाड़ी में चक्रवातों की संख्या में 8% की कमी आई है।