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नेशनल अवार्ड फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन अवार्ड से नवाजे गए विजेता

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के मौके पर मंगलवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में साल 2022 के लिए नेशनल अवार्ड फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन अवार्ड दिए गए। ये अवार्ड केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने विजेताओं को दिए। इस मौके पर भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. एस. चंद्रशेखर और भारत सरकार के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन मौजूद थे।

इस बार श्रेणी ‘क’ के तहत “विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार में उत्कृष्ट प्रयासों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार” बेंगलुरु स्थित कर्नाटक विज्ञान और प्रौद्योगिकी अकादमी को दिया गया है। अकादमी पूरे कर्नाटक में छात्रों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रचार-प्रसार के लिए काम कर रही है। संस्थान कन्नड़ भाषा में पत्रिका भी प्रकाशित करता है, जिसमें इनोवेशन, खोजों आदि के बारे में विस्तार से बताया जाता है।

वहीं श्रेणी ‘ख’ के तहत “पुस्तकों और पत्रिकाओं सहित प्रिंट मीडिया के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार में उत्कृष्ट प्रयासों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार” भुवनेश्वर के प्रोफेसर मायाधर स्वाई और तिरुअनंतपुरम के डॉ बीजू धर्मपालन को संयुक्त रूप से दिया गया है। प्रो. स्वाई विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे जटिल विषयों पर आसान और स्पष्ट तरीके से लिखते हैं। वो युवा लेखकों को विज्ञान के अच्छे लेख लिखने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं। वहीं डॉ धर्मपालन स्वतंत्र लेखक हैं और विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के कई कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। देश के कई प्रतिष्ठित अखबारों में उनके लेख छपते रहे हैं।

 

इसके अलावा श्रेणी ‘ग’ के तहत “बच्चों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी लोकप्रियकरण में उत्कृष्ट प्रयासों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार” हैदराबाद के डॉ कृष्णराव अप्पासानी और नई दिल्ली के डॉ उदय कुमार काकरू को संयुक्त रूप से मिला है। डॉ अप्पासानी जाने-माने जैव रसायन विज्ञानी हैं। उन्होंने अपनी लोकप्रिय विज्ञान वार्ताओं से बच्चों के मन में विज्ञान के प्रति दिलचस्पी पैदा की है। वहीं डॉ काकरू विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए स्कूल, कॉलेजों और संस्थानों के साथ काम कर रहे हैं। उनके पास पशु चिकित्सा और विज्ञान की लोकप्रियता में 45 सालों का अनुभव है।

वहीं श्रेणी ‘घ’ के तहत “लोकप्रिय विज्ञान और प्रौद्योगिकी साहित्य का भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित भाषाओं में और अंग्रेजी में अनुवाद के उत्कृष्ट प्रयासों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार” जयपुर के तरुण कुमार जैन को मिला है। जैन विज्ञान की उपयोगी जानकारी का हिन्दी में अनुवाद कर जन-जन तक पहुंचाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने अंग्रेजी की सैकड़ों विज्ञान कथाओं का हिन्दी में अनुवाद किया है।

इसके अलावा “नवोन्मेषी और पारंपरिक पद्धतियों के माध्यम से उत्कृष्ट प्रयासों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार”

 अगरतला के अंजन  बनिक को मिला है। बनिक सहायक विज्ञान शिक्षक हैं। उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करते हुए विज्ञान संचार, विज्ञान लेखन, विज्ञान पत्रकारिता, विज्ञान शिक्षा, विज्ञान संचार अनुसंधान और विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में लगातार योगदान दिया है।

इस अवार्ड में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने वाली शख्सियत को भी पुरस्कृत किया जाता है। इस बार “इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में उत्कृष्ट प्रयासों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार” दिल्ली के राकेश अन्दानिया को दिया गया है। अन्दानिया जाने-माने विज्ञान पत्रकार और फिल्म निर्माता हैं। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में लगभग तीन दशक बिताए हैं। उन्होंने देश के प्रतिष्ठित विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों एवं संगठनों के साथ कई फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया है।

ये अवार्ड विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन द्वारा दिए जाते हैं। ये पुरस्कार उन लोगों को दिए जाते हैं जिन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार के क्षेत्र में पिछले पांच साल में अपनी गहरी छाप छोड़ी है। विजेता को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह दिए जाते हैं। पुरस्कार के साथ प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। संस्था को पांच लाख रुपए और बाकी व्यक्तिगत पुरस्कार हर श्रेणी में दो लाख रुपए दिए जाते हैं।

ये अवार्ड विज्ञान और प्रौद्योगिकी में संचार और संवाद को बढ़ाने के लिए हर साल दिए जाते हैं। इसका मकसद उन शख्सियतों या संस्थानों को सम्मानित करना है, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संचार को बढ़ाव देने के लिए बेहतर काम कर रहे हैं।

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