केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के दरकते शहर जोशीमठ में माइक्रो सेसमिक ऑब्जर्वेशन सिस्टम लगाने की योजना की घोषणा की है। पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने पृथ्वीो खतरों पर दो दिन के भारत-ब्रिटेन वर्कशॉप का उद्घाटन करते हुए ये बात कही। उन्होंने कहा कि कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के इंसान पर पड़ने वाले असर को कम करने के लिए रणनीतियां बनाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि जल्द ही जोशीमठ मे ऑब्जर्वेशन सिस्टम लगा दिया जाएगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह एक संयोग है कि “पृथ्वी खतरों” पर साझा भूविज्ञान वर्कश़ॉप ऐसे समय हो रही है जब भारत उत्तराखंड में जोशीमठ की घटना से निपट रहा है। जोशीमठ में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर समस्याघ के समाधान में जुटा है।
100 भूकंप विज्ञान केंद्र होंगे स्थापित
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संकेत लेते हुए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने सक्रिय रुख अपनाया है। पिछले दो सालों में 37 नए भूकंप विज्ञान केंद्रों की स्थाकपना की गई है। अब भारत में व्यापक ऑब्जर्वेशन सुविधाओं के लिए 152 ऐसे केंद्र हैं। उन्हों ने बताया कि अगले पांच सालों में रियल टाइम डेटा निगरानी और डेटा संग्रह में सुधार के लिए देश भर में 100 और ऐसे भूकंप विज्ञान केंद्र स्थाापित किए जाएंगे। उन्हों ने कहा कि भारत भूकंप संबंधी प्रगति और समझ में अहम भूमिका निभाने के निकट पहुंच रहा है।
पृथ्वी की भौतिक प्रकियाओं पर शोध जरूरी
पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने कहा कि ऊपरी तह और उप-तह के नीचे भंगुर परतों की विफलता का कारण बनने वाली भौतिक प्रक्रियाओं पर मौलिक शोध की अहम जरूरत है। ताकि विशाल क्षेत्रों में भू-खतरों की पहचान तथा मात्रा तय करने के लिए कम लागत वाले समाधान विकसित किए जा सकें और रणनीतियां बनाई जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 50 सालों में आपदाओं के पीछे की प्रक्रियाओं की वैज्ञानिक समझ बढ़ी है और भविष्य में ऐसी आपदाओं का मुकबला करने के लिए भारत-ब्रिटेन की पहल जैसे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ठोस पृथ्वी खतरों पर यूकेआरआई समकक्ष के साथ भारतीय वैज्ञानिकों के सहयोग से भूकंप, भूस्खलन और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जुड़े जोखिम को कम करने के लिए एक रास्ता विकसित करने की हमारी समझ बेहतर होगी।
नए शोधकर्ताओं को मिलेगा बढ़ावा
डॉ. जितेंद्र सिंह ने संयुक्त कार्यशाला के लिए ब्रिटिश उच्चायुक्त को धन्यवाद दिया और कहा कि इस तरह का अकादमिक जुड़ाव युवा शोधकर्ताओं में नए उत्साह को बढ़ावा देने में मदद करेगा। उन्हों ने कहा कि पृथ्वी से जुड़ी प्रक्रियाओं और इसकी आंतरिक गतिशीलता के पीछे अंतर-संबंधित भौतिकी की बढ़ती चेतना के साथ वैज्ञानिक उत्साहपूर्वक पृथ्वी विज्ञान के अलग-अलग क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान की सीमाओं को आगे बढ़ा रहे हैं।
वहीं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने कहा कि यह संयुक्त कार्यशाला दोनों देशों के लिए हाथ मिलाने तथा रिसर्च को आगे बढ़ाने के साथ-साथ बहु-विषयक परीक्षणों के नए अवसरों को तलाशने के लिए एक उपयुक्त वातावरण है। उन्होंने कहा कि यह वास्तव में भारत और ब्रिटेन के विशेषज्ञों/शिक्षाविदों को एक साथ आने और भारतीय क्षेत्र के लिए ठोस पृथ्वी खतरों के विभिन्न पहलुओं में मौलिक अनुसंधान की अहम जरूरत पर विचार करने का अवसर प्रदान करेगा।