केंद्र सरकार ने भारत के बढ़ते मेडिकल डिवाइस को और आगे बढ़ाने के लिए नई नीति बनाई है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गई। इस नीति से 2030 तक चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को वर्तमान 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर से से 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने में मदद मिलने की उम्मीद है।
नीति में इन पर जोर
विजन: रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ अगले 25 सालों में बढ़ते वैश्विक बाजार में 10-12 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करके चिकित्सा उपकरणों के निर्माण और इनोवेशन में वैश्विक अग्रणी के रूप में उभरना।
मिशन: यह नीति चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के त्वरित विकास के लिए रोडमैप तैयार करती है ताकि निम्नलिखित मिशनों, पहुंच और सार्वभौमिकता, सामर्थ्य, गुणवत्ता, रोगी केंद्रित और गुणवत्ता देखभाल, निवारक और प्रोत्साहक स्वास्थ्य, सुरक्षा, अनुसंधान और नवाचार और कुशल जनशक्ति को प्राप्त किया जा सके।
ये होगी रणनीतियां
चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को रणनीतियों के एक सेट के माध्यम से सुविधा और मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है। इसके तहत सभी तरह की मंजूरी के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस देने पर काम होगा। बड़े चिकित्सा उपकरण पार्क, क्लस्टर की स्थापना और मजबूती पीएम गति शक्ति, चिकित्सा उपकरण उद्योग के साथ बेहतर सम्मिश्रण और बैकवर्ड इंटीग्रेशन के लिए राज्य सरकारों और उद्योग के साथ प्रयास किया जाएगा। नीति में भारत में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने और भारत में फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास और इनोवेशन पर विभाग की प्रस्तावित राष्ट्रीय नीति को पूरक बनाने की परिकल्पना की गई है। मेक इन इंडिया और दूसरी योजना के तहत निवेश आकर्षित किया जाएगा। साथ ही दक्ष मानव संसाधन उपलब्ध कराने पर जोर रहेगा। साथ ही सरकार का फोकस विदेशी अकादमिक/उद्योग संगठनों के साथ साझेदारी विकसित करने पर भी होगा। नीति विभाग के तहत क्षेत्र के लिए एक समर्पित निर्यात संवर्धन परिषद के निर्माण की परिकल्पना करती है जो विभिन्न बाजार पहुंच से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए सक्षम होगी:
भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का एक आवश्यक और अभिन्न अंग है। भारतीय चिकित्सा उपकरण क्षेत्र का योगदान और भी ज्यादा अहम हो गया है। भारत ने वेंटिलेटर, रैपिड एंटीजन टेस्ट किट, रियल-राइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) किट, इन्फ्रारेड (आईआर) थर्मामीटर, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट और एन-95 मास्क जैसे चिकित्सा उपकरणों और डायग्नोस्टिक किट के बड़े पैमाने पर उत्पादन के माध्यम से कोविड-19 महामारी के खिलाफ घरेलू और वैश्विक लड़ाई का समर्थन किया है।
उभरता हुआ क्षेत्र
भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र एक उभरता हुआ क्षेत्र है जो तेज गति से बढ़ रहा है। भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के बाजार का आकार 2020 में 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 90,000 करोड़ रुपये) होने का अनुमान है। वैश्विक चिकित्सा उपकरण बाजार में इसकी हिस्सेदारी 1.5 प्रतिशत होने का अनुमान है। भारतीय चिकित्सा उपकरण क्षेत्र विकास की राह पर है और इसमें आत्मनिर्भर बनने तथा सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल के लक्ष्य की दिशा में योगदान करने की अपार क्षमता है। भारत सरकार ने हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश राज्यों में चार चिकित्सा उपकरण पार्कों की स्थापना के लिए चिकित्सा उपकरणों और सहायता के लिए पीएलआई योजना के कार्यान्वयन की शुरुआत पहले ही कर दी है। चिकित्सा उपकरणों के लिए पीएलआई योजना के तहत, अब तक कुल 26 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इनमें 1206 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है और इसमें से अब तक 714 करोड़ रुपये का निवेश हासिल किया जा चुका है।