भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान भोपाल (आईआईएसईआर) के शोधकर्ताओं ने सफलतापूर्वक ऐसे चुंबकीय नैनो कणों को विकसित किया है, जो मानव बाल की चौड़ाई से लगभग एक लाख गुना छोटे कण हैं।
इन नैनो कणों को कई प्रक्रियाओं के लिए तैयार किया गया है जिसमें समुद्री जल से प्रकाश ऊर्जा को ऊर्जा में बदलता है अथवा इसी माध्यम से नमक को अलग करना, रंगों और बर्फ को पिघलाना और बर्फ को न जमने देना प्रक्रियाओं से दूषित जल से पीने योग्य पानी को निकालना आदि शामिल है ।
इस शोध का नेतृत्व आईआईएसईआर भोपाल के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. शंकर चाकमा द्वारा किया गया है। इस शोध के नतीजों को प्रतिष्ठित सहकर्मी-समीक्षा पत्रिका अमेरिकन केमिकल सोसाइटी – ईएसटी इंजीनियरिंग में प्रकाशित किया गया है। इस शोध पेपर को तैयार करने में विश्रांत कुमार, अभिनव चंदेल, प्राची उपाध्याय और डॉ शंकर चाकमा का विशेष योगदान रहा है। इस शोध के बारे में अधिक जानकारी इस लिंक के माध्यम से ली जा सकती है: https://doi.org/10.1021/acsestengg.3c00297
इस शोध के विशेष महत्व को समझाते हुए आईआईएसईआर भोपाल के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. शंकर चाकमा ने कहा, “हमारे द्वारा विकसित किये गए चुंबकीय नैनो कणों का उपयोग करके फोटो थर्मल अलवणीकरण उत्कृष्ट जल वाष्पीकरण दर के साथ काफी प्रभावी था।इसका कारण वाष्पोत्सर्जन और केशिका क्रिया जैसे छिद्र पूर्ण माध्यम से बेहतर द्रव्यमान स्थानांतरण है, जो पानी के अणुओं के तेजी से ऊपर की ओर बढ़ने में सहायता करता है।