विश्व दुर्लभ बीमारी दिवस के मौके पर 12 मार्च को ऑर्गनाइजेशन फॉर रेयर डिजीज इंडिया (ORDI) Racefor7 का आयोजन कर रहा है। यह इस दौड़ का आठवां संस्करण है जो दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। इसका मकसद दुलर्भ बीमारियों लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाना है।
सात किलोमीटर की दौड़
इस मौके पर सात किलोमीटर के वॉक/रन/साइकिलिंग का आयोजन किया जाएगा। सात किलोमीटर की दौड़ इसलिए रखी गई है क्योंकि दुनिया में अब तक तक सात हजार ज्ञात दुलर्भ बीमारियां हैं। किसी भी दुर्लभ बीमारी को ठीक करने में औसत सात साल तक का समय लगता है। भारत में लगभग दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित करीब सात करोड़ लोग हैं। इस कार्यक्रम में आम लोग भी हिस्सा ले सकते हैं। कार्यक्रम में दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित और उनके परिजन भी शामिल होंगे। कार्यक्रम में हिस्सा लेने के इच्छुक व्यक्ति racefor7.com पर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। ये जानकारी एम्स दिल्ली में डिवीजन ऑफ जेनेटिक्स की एडिशनल प्रोफेसर डॉ नीरजा गुप्ता और ORDI के सह-संस्थापक और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रसनन कुमार सिरोल ने दी।
12 शहरों में होंगे कार्यक्रम
दिल्ली के अलावा देशभर के 12 शहरों में भी इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इनमें देवेनेगेड़े, मैसुरू, अहमदाबाद, बेंगलुरु, मुंबई, कोच्चि, पुणे, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, लखनऊ और तिरुअनंतपुरम शामिल हैं। डॉ गुप्ता ने बताया कि कई अन्य तरह के मेडिकल कंडीशन के बीच दुर्लभ बीमारियों की अपनी खास जगह है। ऐसा दुलर्भ बीमारियों से जुड़ी नीति की घोषणा और इसे लागू करने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के चलते संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि तकनीक के एडवांस होने और इलाज होने के बावजूद ग्रासरूट लेवल पर इन बीमारियों को लेकर जागरूकता की कमी है। अगर समय रहते बीमारी का पता चल जाता है तो इलाज अच्छे से हो सकता है। समय पर थेरेपी मिल सकती है जो तेजी से विकसित हो रही है। इससे न सिर्फ मरीज की जिंदगी बेहतर होगी, बल्कि पूरे परिवार की जिंदगी अच्छी होगी।
दो साल से हो रहे थे वर्चुअल इवेंट
वहीं सिरोल ने कहा कि कोरोना के चलते पिछले दो साल से Racefor7 का आयोजन वर्चुअल रूप से हो रहा था। Racefor7 दुनिया के बड़े आयोजनों में एक है और इसका मकसद दुलर्भ बीमारियों को लेकर जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि भारत में दुर्लभ बीमारियों को पहचान मिलने का ये शुरुआती चरण है। अभी कई चुनौतियों से पार पाना बाकी है। वहीं ORDI एडवोकेसी समिति और इंडियन रिट सिंड्रोम फाउंडेशन के अध्यक्ष समीर सेठी ने कहा कि दुर्लभ बीमारियों के लिए भारत में दवाएं विकसित करना वक्त की मांग है। नेशनल रेयर डिजीज पॉलिसी कहती है कि देश की दवा कंपनियों को इन बीमारियों के लिए औषधि विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए पॉलिसी बनाने की खातिर संबंधित विभागों के बीच समन्वय स्थापित किया जा रहा है। वैसे दुनिया भर में दुलर्भ बीमारी दिवस हर साल फरवरी के आखिरी दिन मनाया जाता है।