केंद्र सरकार ने समुद्रयान मिशन को नई ऊंचाइय़ों पर ले जाने का ऐलान किया है। इसके तहत तीन लोगो को समुद्र तल से 6000 मीटर नीचे तक भेजने का लक्ष्य तय किया गया है। पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने इसकी घोषणा की है।
मत्स्य व्हीकल का होगा इस्तेमाल
डॉ सिंह ने बताया कि इस मिशन के लिए मत्स्य (MATSYA) व्हीकल का इस्तेमाल किया जाएगा। इसका मकसद समुद्र की गहराई में खनिज पदार्थों की खोज करना है। उन्होंने कहा कि अगले तीन साल में इस मिशन को पूरा किया जाएगा। मत्स्य का डिजाइन और विकास चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियन टेक्नोलॉजी की ओर से किया जा रहा है। अगर इंसानों की सुरक्षा की बात की जाए तो इमरजेंसी में ये व्हीकल 96 घंटे तक काम कर सकता है। सामान्य परिस्थितियों मे ये 12 घंटे तक काम करेगा।
डिजाइन का काम पूरा
पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने कहा कि व्हीकल का डिजाइन पूरा हो गया है। इसके लिए अलग-अलग उपकरणों का काम प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि इस मिशन से निकेल, कोबाल्ट, रेयर अर्थ और मैगनीज जैसे खनिज पदार्थों को खोजने में मदद मिलेगी। साथ ही सैंपल भी कलेक्ट किए जाएंगे जिनका इस्तेमाल एनालिसिस के लिए होगा। डॉ सिंह ने कहा कि “गहरे समुद्र में संसाधनों और जैव विविधता मूल्यांकन का पता लगाने के लिए 6000 मीटर गहराई में एकीकृत खनन के लिए इस मशीन और मानव रहित वाहनों (टेथर्ड एंड ऑटोमेटेड) का विकास किया गया है ।
केंद्र सरकार ने डीप ओसियन मिशन के तहत पांच साल के लिए 4,077 करोड़ रुपए के कुल बजट को स्वीकृत किया है। वहीं पहले तीन साल (2021-2024) की अनुमानित लागत 2,823.4 करोड़ रुपए है। यह अभियान “नीली अर्थव्यवस्था (ब्लू इकॉनमी)” के युग में भारत के उन प्रयासों की शुरुआत करता है जो आने वाले सालों के दौरान भारत की समग्र अर्थव्यवस्था के निर्माण में एक प्रमुख भूमिका निभाने जा रहे हैं।
भारत के पास लंबा समुद्र तट है। इसकी कुल लंबाई 7517 किमी है। इसमें नौ तटीय राज्य आते हैं। साथ ही 1,382 द्वीप हैं। इस मिशन का उद्देश्य केंद्र सरकार के ‘नए भारत’ के उस दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है जो नीली अर्थव्यवस्था को विकास के दस प्रमुख आयामों में से एक के रूप में उजागर करता है।