केंद्रीय केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि पूर्व के शिक्षित बेरोजगारों के लिए हम आई-पीएचडी डिग्री की शुरुआत कर रहे हैं। इसके साथ ही शिक्षित रोजगार योग्य विज्ञान उद्यमियों के युग में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। यह पीएचडी डिग्री उद्योग से संबद्ध होगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने 7 नवंबर को नई दिल्ली में वैज्ञानिक और नवोन्मेषी अनुसंधान अकादमी (एसीएसआईआर) के 7वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि यह अकादमी एक अद्वितीय शैक्षणिक मंच है जो विज्ञान में डिग्री प्रदान करता है, रोजगारोन्मुख है और उद्यमिता से जुड़ी बारीकियां पाठ्यक्रम में शामिल हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक और नवोन्मेषी अनुसंधान अकादमी (एसीएसआईआर) की स्थापना 2011 में हुई थी। मात्र 12 वर्ष की अवधि में ही यह अकादमी देश में डॉक्टरेट शिक्षा प्रदान करने वाले सबसे बड़े संस्थान के रूप में उभरी है।
उन्होंने कहा कि यह अकादमी न केवल संख्या की दृष्टि से ही बड़ी नहीं है, बल्कि उत्कृष्टता की दृष्टि से भी समृद्ध है। गुणवत्ता साथ-साथ नवाचार के मानकों को बनाए रखती है और विज्ञान के विभिन्न वर्गों की एक विस्तृत श्रृंखला को समाहित करती है। यह उत्कृष्ट, अभिनव और बहुमुखी भी है।”
वैज्ञानिक और नवोन्मेषी अनुसंधान अकादमी भारत में डॉक्टरेट अनुसंधान के लिए सबसे बड़ा शैक्षणिक संस्थान है। इस संस्थान ने वर्ष 2022 में 577 पीएचडी डिग्री प्रदान की हैं और वर्तमान में 7,000 से अधिक विद्यार्थी पीएचडी के लिए पंजीकृत हैं। वर्तमान में, भारत में शैक्षणिक संस्थानों के बीच अनुसंधान श्रेणी में एसीएसआईआर को “स्किमागो इंस्टीट्यूशंस रैंकिंग” (2022) में तीसरा, “नेचर इंडेक्स” (2021-22) द्वारा 11वां और नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) (2023) द्वारा 12वां स्थान प्रदान किया गया है।
हमारे वैज्ञानिक प्रयासों के साथ उद्योग के जुड़ाव को संस्थागत बनाने का आह्वान करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, इससे इससे सतत् स्टार्टअप बनाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, “हमें देश में इस स्टार्टअप प्रक्रिया को बनाए रखना होगा। देश में 1 लाख से अधिक स्टार्टअप को बनाए रखने के लिए हमारे पास एक बहुत सुदृढ़ उद्योग का आधार होना चाहिए।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अरोमा मिशन और लैवेंडर खेती और अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने जैसी विभिन्न पहलों के साथ एक अनुकूल वातावरण प्रदान किया है।
उन्होंने कहा, “शुरू से ही, हमें उद्योग को एक हितधारक के रूप में रखने की आवश्यकता है… और जहां भी स्टार्टअप के परिणाम आकर्षक पाए गए, यह देखा गया कि कॉर्पोरेट क्षेत्र के कई युवा अपनी नौकरियां छोड़कर उनके साथ जुड़ गए। मुझे प्रसन्नता है कि एसीएसआईआर में शुरू किए गए आई-पीएचडी और इसी तरह के पाठ्यक्रम उद्योग के साथ वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार के जुड़ाव को संस्थागत बनाने की दिशा में एक कदम हैं।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के खुलने के साथ, देश की आम जनता चंद्रयान-3 या आदित्य-एल1 जैसी मेगा अंतरिक्ष घटनाओं के प्रक्षेपण को देख सकी है। लगभग 10,000 छात्र और आम जनता आदित्य प्रक्षेपण को देखने आए और लगभग 1,000 मीडियाकर्मियों ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर उतरते देखा।
विज्ञान, अनुसंधान, शिक्षा, स्टार्टअप और उद्योग के तालमेल का समर्थन करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अनुसंधान, राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) पीएम मोदी के विकसित भारत@2047 के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए सही पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन से सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच की दूरी समाप्त होने के साथ ही एकीकरण भी होगा। उन्होंने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भारत के युवाओं की आकांक्षाओं को नये पंख देगी। वे अब “अपनी आकांक्षाओं के बंधक” नहीं रहेंगे क्योंकि नीति अब उन्हें उनकी योग्यता, कौशल, रुचि और अन्य कारकों के आधार पर स्वतंत्र रूप से विषयों को चुनने या परिवर्तित करने का अधिकार देती है।