नागपुर में चल रहे भारतीय विज्ञान कांग्रेस में इसरो की गतिविधियां खास आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। दरअसल, इसरो यहां ‘स्पेस ऑन व्हील्स’ बस के जरिए अपने कामों की जानकारी दे रहा है। यहां आ रहे लोगों को यह बस खूब भा रही है। इसे देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है। छात्रों और युवाओं में इसे देखने के लिए गजब का उत्साह है।
इसरो के कामों की जानकारी
इस बस के जरिए इसरो अंतरिक्ष में किए जा रहे अपने उल्लेखनीय कामों की जानकारी दे रहा है। यहां आ रहे लोग चंद्रयान-1, मंगलयान मिशन, अंतरिक्ष में छोड़े गए कई तरह के सैटेलाइट और इसरो की अब तक की अंतरिक्ष यात्रा के बारे में जानकारी पा रहे हैं।
स्क्रीन के जरिए दी जा रही जानकारियां
बस में कई स्क्रीन लगाई गई हैं। इसके जरिए भी लोगों को जरूरी जानकारियां दी जा रही हैं। यहां आ रहे लोगों को बताया जा रहा है कि चंद्रयान और मंगलयान मिशन को किस वैज्ञानिक तरीके से अंजाम दिया गया। साथ ही इन मिशन को सफल बनाने में सामने आई चुनौतियों के बारे में भी विस्तार से बताया जा रहा है।
कई दिलचस्प फोटोग्राफ
इस प्रदर्शनी में कई दिलचस्प फोटोग्राफ भी देखने को मिल रहे हैं। इनमें दुनिया के शहरों के फोटोग्राफ शामिल हैं। इनमें वेटिकन सिटी, दोहा, दुबई, वेटिकन सिटी और वाशिंगटन डीसी की तस्वीरें शामिल हैं।
लोगों में जागरूक करना मकसद
इस मोबाइल प्रदर्शनी का मकसद लोगों को इसरो के काम के बारे में बताना है। साथ ही इसरो चाहता है कि युवाओं में विज्ञान और अंतरिक्ष को लेकर दिलचस्पी बढ़े।
1969 में हुई स्थापना
इसरो भारत की अंतरिक्ष एजेंसी है। एजेंसी का मकसद विज्ञान, इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी की मदद से अंतरिक्ष के लाभों को लोगों का पहुंचाना है। इसरो का पहले नाम इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च था। इसकी स्थापना 1962 में की गई थी। 15 अगस्त, 1969 को इसरो का गठन किया गया था। इसरो का मुख्य मकसद स्पेस टेक्नोलॉजी के लिए एप्लेकिशन का विकास है। इसरो ने कम्युनिकेशन, टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग और मौसम से जुड़ी जानकारियों के लिए बड़ा नेटवर्क बनाया है। साथ ही इसरो ने अंतरिक्ष में सैटेलाइट पहुंचाने के लिए पीएसएलवी और जीएसएलवी जैसे सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल बनाया है। इसरो का मुख्यालय बेंगालुरु में है।