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एक सप्ताह तक अपने खास काम को प्रदर्शित करेंगी CSIR लैब

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की लैब लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए कई तरह की प्रौद्योगिकी विकसित करती हैं। इस तरह की देश में 37 लैब हैं। हर लैब एक खास क्षेत्र को समर्पित हैं। अब ये लैब ‘एक सप्ताह एक प्रयोगशाला (वन वीक वन लैब)” अभियान के तहत अपने काम को प्रदर्शित करेंगी। इसकी घोषणा केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने की है।

एक सप्ताह एक प्रयोगशाला अभियान शुरू

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मई 2014 से सभी वैज्ञानिक प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्रक मोदी के सक्रिय और निरंतर समर्थन के साथ भारत, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इनोवेशन इको-सिस्टम तंत्र में हर दिन नई ऊंचाइयां छू रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने नागपुर में आयोजित हुई 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्रधानमंत्री के संबोधन का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा था, “हम उस वैज्ञानिक दृष्टिकोण के नतीजे भी देख रहे हैं जिसके साथ आज का भारत आगे बढ़ रहा है। भारत तेजी से विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष देशों में से एक बन रहा है। 130 देशों में हम 2015 तक वैश्विक इनोवेशन सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स) में 81वें स्थान पर थे। लेकिन 2022 में हम 40वें स्थान पर पहुंच गए हैं। आज भारत शोधकार्यों (पीएचडी) के क्षेत्र में विश्व के शीर्ष तीन देशों में है। आज भारत स्टार्ट-अप पारिस्थितिक के मामले में दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि “वन वीक वन लैब” अभियान के तहत देश भर में फैली इसकी 37 लैब में से प्रत्येक अपनी विरासत, विशेष इनोवेशन और तकनीकी सफलताओं को हर सप्ताह प्रदर्शित करेगी। इस दौरान प्रयोगशालाएं सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रमों का आयोजन करेंगी। इनमें उद्योग और स्टार्ट-अप गोष्ठियां, छात्रों से परस्पर संपर्क (स्टूडेंट्स कनेक्ट), समाज के अलग-अलग वर्गों से सम्पर्क (सोसाइटी कनेक्ट) तथा प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन आदि शामिल हैI

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले एक दशक में, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने देश को अपनी पहली जैव ईंधन-संचालित उड़ान, दांत के प्रत्यारोपण के स्वदेशी विकास, सेल बस, स्टील स्लैग के साथ सड़क निर्माण, सीएसआईआर-टेक्नोएस रमन स्पेक्ट्रोमीटर का विकास, ट्रेनर विमान हंसा-एनजी और विभिन्न सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में विकसित कई अन्य प्रौद्योगिकियां हाई-रिज़ॉल्यूशन एक्विफर मैपिंग की तकनीक, स्वदेशी रूप से विकसित हाइड्रोजन ईंधन की सुविधा प्रदान की है।

देश भर में फैली 37 लैब में से प्रत्येक अपने काम के एक अलग खास क्षेत्र के लिए समर्पित है और ‘एक सप्ताह एक प्रयोगशाला (वन वीक वन लैब)” अभियान से अन्य लोग इसका लाभ उठा सकेंगे और हितधारक इसके बारे में सीख सकेंगे। धीरे-धीरे ये प्रयोगशालाएं विशेषज्ञता के अपने संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान और इनोवेशन के वैश्विक केंद्रों में बदल जाएंगी।

लैब के काम को सामने लाने पर जोर

डॉ सिंह ने बताया कि समाज के लिए सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा बहुत सी प्रौद्योगिकियां विकसित की गई हैं। लेकिन उनमें से कई अभी तक प्रयोगशालाओं तक ही सीमित हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी की उन्नति और समाज की प्रगति के लिए प्रौद्योगिकियों के बारे में ज्यादगा जानने के लिए हितधारकों/उद्यमी/छात्रों/उद्योगों के बीच संपर्क स्थापित करने की आवश्यकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सकल शून्य उत्सर्जन (नेट जीरो एमिशन) और शून्य अपशिष्ट (जीरो वेस्ट) की ओर बढ़ने के उद्देश्य से वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद–केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान सीएसआईआर-सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट –सीबीआरआई), रुड़की द्वारा आयोजित” (इनोवेशन एवं दीर्घकालीन निर्माण सामग्री था प्रौद्योगिकियां-इनोवेशन एंड सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन मैटेरियल्स एंड टेक्नोलॉजीज)” पर कार्यशाला और प्रदर्शनी का उद्घाटन कर इस अभियान की शुरुआत की।

इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर के एक सप्ताह एक लैब अभियान का प्रतीक चिन्ह (लोगो) भी जारी किया।

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