नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी एक नए रोबोट का परीक्षण कर रहा है। इसका मकसद इस सवाल का जवाब खोजना है कि पृथ्वी के अलावा अंतरिक्ष में कहीं जीवन मौजूद है या नहीं। इस रोबोट को अंतरिक्ष के बाहरी हिस्से में तैनात करने की योजना है।
सांप जैसा आकार
एक्सोबायोलॉजी एक्सटेंट लाइफ सर्वाइवर (EELS) प्रणाली सांप जैसा रोबोट है। यह ठोस और तरल संरचनाओं में घूम-घूमकर नमूने एकत्र करेगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने इस रोबोट के लिए कई उद्देश्य तय किए हैं। इनमें से एक उद्देश्य शनि के 83 चंद्रमाओं में से एक, एन्सेलेडस की सतह तक पहुंचना और इसकी बर्फीली विशेषताओं की जांच करना है।
1980 के दशक में वायेजर अंतरिक्ष यान ने एन्सेलेडस के बारे में कुछ अहम जानकारी दी थी। यह माना जाता है कि एन्सेलाडस की बर्फीली सतह अपेक्षाकृत चिकनी है। तापमान शून्य से 300 डिग्री फ़ारेनहाइट से अधिक है। साल 2005 में, नासा के कैसिनी अंतरिक्ष यान ने पाया कि बर्फीले कण चंद्रमा की सतह से अंतरिक्ष में आते हैं। यही कण शनि के आसापास छल्ले बनाते हैं। चंद्रमा की सतह से हुए इन विस्फोटों ने यह भरोसा हुआ कि सतह के नीचे एक विशाल तरल महासागर हो सकता है।
लॉन्च की तारीख तय नहीं
एन्सेलेडस की परिस्थितियां विकट हैं। यह उन कई चुनौतियों में से एक हैं जिन्हें ईईएलएस टीम ने रोबोट को डिजाइन करते हुए ध्यान में रखा है। यह रोबोट इस तरह के वातावरण में काम कर सकता है।
जटिल प्रणोदन प्रणाली ठोस या तरल लैंडस्केप में मददगार होगी। अब इस रोबोट का पृथ्वी पर विकट परिस्थितियों वाली जगहों पर परीक्षण हो रहा है। 16 फुट लंबे इस रोबोट का इस्तेमाल ग्लेशियरों और ज्वालामुखियों की जांच करने के लिए किया गया है ताकि इसकी क्षमताओं का परीक्षण किया जा सके।
नासा ने ईईएलएस परियोजना के लिए लॉन्च की तारीख तय नहीं की है। इसका मतलब है कि कोई भी मिशन सालों दूर है। अगर यह रोबोट सफल रहता है, तो अंतरिक्ष एजेंसी का मानना है कि इससे खगोलीय पिंडों की गहन खोज हो सकती है। कभी इन खगोलीय पिंडों की खोज को बहुत मुश्किल माना जाता था।