पृथ्वी से लगभग 95 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित और लगभग एक शताब्दी पहले खोजे गए एक आकाशगंगा केंद्र (ब्लेज़र) बीएल लैकेर्टे (बीएल एलएसी) की चमक अधिकतम सीमा तक पहुँच गई है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा वित्त पोषित स्वायत्त संस्थान, रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट से पोस्ट-डॉक्टोरल फेलो अदिति अग्रवाल के नेतृत्व में नवीनतम अध्ययन में प्रकाशित परिणामों में कहा गया है कि बीएल लैक से निकलने वाली चमक 21, अगस्त 2020 को अपनी अधिकतमसीमा तक पहुंच गई थी। यह इस स्रोत के बारे में एक नई खोज है।
अब कई दशकों से, सक्रिय आकाश गंगा नाभिक (गैलेक्टिक न्यूक्लियस- एजीएन) स्रोत, बीएल लैकेर्टे (जिसे आमतौर पर बीएल लाख के रूप में संदर्भित किया जाता है), अब वैश्विक खगोल विज्ञान समुदाय के बीच अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण रुचि बना हुआ है।
सामान्यतः आकाशगंगा के केंद्र में स्थित, सक्रिय आकाश गंगा नाभिक (गैलेक्टिक न्यूक्लियस – एजीएन) ऐसी कॉम्पैक्ट संरचनाएं हैं जो समय-समय पर विषम चमक दिखाती हैं। उनके चमक स्तरों में विचलन भिन्न हो सकता है और वह कुछ घंटों, दिनों, सप्ताहों या कुछ महीनों तक भी बना रह सकता है। यह चमक वाला विचरण (ल्यूमिनोसिटी), जब नग्न मानव आंखों से देखा जाता है, तो रेडियो, माइक्रोवेव, इन्फ्रारेड, ऑप्टिकल, अल्ट्रा-वायलेट, एक्स-रे और गामा तरंग दैर्ध्य में दिखाई देने वाले विद्युत चुम्बकीय उत्सर्जन के अलावा कुछ भी नहीं होता है।
विश्व भर में स्थित ग्यारह प्रकाशिक (ऑप्टिकल) टेलीस्कोपों के एक समूह द्वारा किए गए निरंतर अवलोकनों का उपयोग करके बीएल लैक से उत्सर्जन के चमकदार होने (फ्लेयरिंग अप) और उसके तदनुसार क्षय का पता लगाया गया। लद्दाख के हानले में स्थित हिमालयन चंद्र टेलीस्कोप उनमें से एक था।
जुलाई 2020 की शुरुआत में ही खगोलविदों को संदेह हो गया था कि बीएल लैक में चमक तेज हो गई है। सभी ग्यारह दूरबीनों को तुरंत काम पर लगाया गया और 13 जुलाई, 2020 से 14 सितंबर, 2020 तक 84 दिनों तक इस पर ध्यान केंद्रित किया गया।
एस्ट्रोफिजिकल जर्नल सप्लीमेंट्स सीरिज में प्रकाशित ‘अगस्त 2020 की चमक (फ्लेयर) के दौरान बीएल लैकेर्टे की इंट्रा-नाइट वेरिएबिलिटी का विश्लेषण’ शीर्षक वाले पेपर के प्रमुख लेखक अग्रवाल ने कहा की “जैसे-जैसे समय बीतता गया तो यह देखा गया कि चमक धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी I यह दिखाता है कि बीएल लाख अधिक सक्रिय हो रहा था। 21 अगस्त, 2020 को पहली बार बीएल लाख की चमक अधिकतम सीमा तक पहुंच गई। क्राको, पोलैंड में स्थित संशोधित डल-किरखम टेलीस्कोप द्वारा इसे अच्छी तरह से देखा (कैप्चर) गया था।’’
परिणामों से पता चला कि बीएल लैक की चमक का परिमाण (मैग्नीट्यूड) 14 से बढ़कर 11.8 (खगोलीय रूप से उपयोग किया गया) हो गया, जबकि इसका फ्लक्स मूल्य 13.37 मिली जंस्की (एमजेवाई) से बढ़कर 109.88 एमजेवाई पर पहुंच गया, जो इस स्रोत के लिए एक और पहला अवलोकन है। इसके अतिरिक्त, शोधकर्ताओं के इस अंतरराष्ट्रीय सहयोग ने इस स्रोत के चुंबकीय क्षेत्र की गणना की, जो बढ़ी हुई चकम के दौरान 7.5 गॉस से 76.3 गॉस तक पाया गया।
ये महत्वपूर्ण गणनाएं, जो पहले कभी संभव नहीं थीं, पूरी तरह से इन टेलीस्कोप की संयुक्त तैनाती से प्राप्त डेटासेट के टेराबाइट्स की उपलब्धता के कारण की गई थीं।
अग्रवाल ने कहा कि “ये नए मानक (पैरामीटर) भविष्य में बीएल लाख के बहु वर्णक्रमिक (मल्टीस्पेक्ट्रल) अध्ययन का आधार बनेंगे।”
इसके अलावा, शोधकर्ता इस स्रोत के चमक (फ्लेयर) के उत्सर्जक क्षेत्र के आकार का अनुमान लगाने में भी सक्षम थे, जिसकी गणना वास्तविक जेट त्रिज्या पर 1/8वें स्थान पर की गई थी।
अग्रवाल की टीम इस बीएल लाख के और अधिक अवलोकन के साथ अपना काम जारी रखे हुए है और एक्स-रे और गामा तरंग दैर्ध्य ( वेवलेंथ) में इसकी विशेषताओं को समझने का प्रयास वर्तमान में चल रहा है।