प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल को 5 साल की अवधि के लिए आईआईटी कानपुर का निदेशक नियुक्त किया गया है। प्रोफेसर मणींद्र वैश्विक ख्याति प्राप्त कंप्यूटर वैज्ञानिक और गणितज्ञ हैं और उनके पास काफी अच्छा प्रशासनिक अनुभव भी है।
आईआईटी कानपुर से बीटेक और पीएचडी करने के बाद प्रोफेसर मणींद्र संस्थान में पहले प्रोफेसर और फिर निदेशक बने हैं। इससे पहले प्रोफेसर अभय करंदीकर निदेशक के पद पर तैनात थे। उनको डीएसटी का सचिव बनाए जाने के बाद कार्यकारी निदेशक के रूप में प्रो. एस गणेश कार्यभार संभाल रहे थे।
20 मई 1966 को प्रयागराज में जन्मे प्रोफेसर अग्रवाल ने 1986 में बीटेक और 1991 में पीएचडी की उपाधियाँ प्राप्त की। वह जर्मनी विश्वविद्यालय में फैलो भी रहे हैं।
उन्होंने नीरज कयाल एवं नितिन सक्सेना के साथ मिलकर ऐकेएस पराएमीलिटी टेस्ट का आविष्कार किया, जिसके लिए उन्हें उनके सहकर्ताओं के साथ संयुक्त रूप से वर्ष 2006 का प्रतिष्ठित गोडेल पुरस्कार मिला।
उन्होंने गणित के प्राइम अंकों की परेशानी को दूर करने के लिए एल्गोरिदम की खोज की थी। प्रो. अग्रवाल ने क्लाउड सीडिंग की भी तकनीक विकसित की है। इसकी मदद से आर्टिफिशियल बारिश कराई जा सकती है।
अपने गणितीय मॉडल ‘सूत्र’ से कोरोना की लहर और संक्रमितों की संख्या की सटीक जानकारी देने के कारण उन्हेंं काफी प्रसिद्धि मिली थी। वर्तमान में प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल की देखरेख में 50 से अधिक स्ट्रॉर्टअप कार्य कर रहे हैंं।
2003 में उन्हें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया वर्ष 2008 में गणित के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें प्रथम इन्फोसिस गणित पुरस्कार हेतु चुना गया था। उन्हें 2013 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।
आईआईटी कानपुर में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग में