चंद्रयान-3 की चांद की सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इसरो ने आदित्य एल-1 मिशन के लॉन्च की घोषणा कर दी है। ये मिशन दो सितंबर को सुबह 11.50 बजे छोड़ा जाएगा। इसे श्रीहरिकोटा से रवाना किया जाएगा। चंद्रयान-3 के बाद आदित्य एल-1 मिशन इसरो का सबसे महत्वाकांक्षी मिशन है। इसे पीएसएलवी एक्स एल रॉकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा।
सूर्य के लिए पहला मिशन
सूर्य के रहस्यों का पता लगाने के लिए यह भारत का पहला मिशन है। इस मिशन के जरिए यह समझने की कोशिश की जाएगी कि जब सूर्य सौर लपटें छोड़ता है तब क्या होता है। इस मिशन का वजन करीब 1500 किलो है।
https://twitter.com/isro/status/1696097793616793910?t=LEUO8YkxBXzzXZAMSOuz9w&s=09
इसरो ने बताया कि सबसे पहले यान को धरती की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसके बाद यान में लगे प्रपल्शन की मदद से इसे लांगरेंग पॉइंट की तरफ लॉन्च किया जाएगा। इस दौरान यह धरती की कक्षा से निकल जाएगा। इसके बाद इसे लॉगरेंग के हेलो कक्षा में भेजा जाएगा।
हालांकि यान 15 लाख किमी की दूरी तय करेगा। चांद के मुकाबले यह दूरी चार गुना है। इस दूरी को तय करन में यान को चार महीने का वक्त लगेगा। यानी जिस जगह पर इस मिशन को स्थापित किया जाएगा, वह चांद से चार गुना ज्यादा दूर है।
इसरो की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार उपग्रह को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली की प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके असर को समझने में मदद मिलेगी। वेबसाइट पर बताया गया है कि अंतरिक्ष यान प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए सात पेलोड अपने साथ ले जाएगा।
उम्मीद है कि आदित्य एल1 पेलोड के सूट कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कण और क्षेत्रों के प्रसार आदि की समस्या को समझने के लिए सबसे जरूरी जानकारी प्रदान करेंगे।
आदित्य-एल1 मिशन के प्रमुख विज्ञान उद्देश्य:
सौर ऊपरी वायुमंडलीय (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) की गतिशीलता का अध्ययन।
क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग का अध्ययन। आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी, कोरोनल द्रव्यमान इजेक्शन की शुरुआत और फ्लेयर्स
सूर्य से कण गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करने वाले इन-सीटू कण और प्लाज्मा वातावरण का निरीक्षण।
सौर कोरोना का भौतिकी और इसका तापन तंत्र।
कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान: तापमान, वेग और घनत्व।
सीएमई का विकास, गतिशीलता और उत्पत्ति।
कई परतों (क्रोमोस्फीयर, बेस और विस्तारित कोरोना) पर होने वाली प्रक्रियाओं के अनुक्रम की पहचान करना जो अंततः सौर विस्फोट की घटनाओं की ओर ले जाती हैं।
सौर कोरोना में चुंबकीय क्षेत्र टोपोलॉजी और चुंबकीय क्षेत्र माप का अध्ययन।
अंतरिक्ष मौसम को गति देने वाले (सौर हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता)।