इसरो ने चंद्रयान-3 को लेकर एक नया इतिहास रच दिया है। चंद्रयान के लैंडिंग मॉड्यूल को सफलतापूर्वक प्रोपल्शन सिस्टम से अलग कर दिया गया है। लैंडिंग मॉड्यूल में लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान शामिल हैं। इस मिशन के लिए इसे एतिहासिक कामयाबी माना जा रहा है।
इसरो ने दी जानकारी
इसरो ने बताया, “लैंडिंग मॉड्यूल को कामयाबी के साथ प्रोपल्शन सिस्टम से अलग कर दिया है। अब शुक्रवार शाम चार बजे मॉड्यूल की कक्षा को कुछ नीचे करने के काम को अंजाम दिया जाएगा।” इससे पहले बुधवार को यान को 153 किमीX163 किमी की कक्षा में पहुंचाया था।
14 जुलाई को चंद्रयान-3 के लॉन्च के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा था कि प्रोपल्शन सिस्टम से लैंडिंग मॉड्यूल को अलग करने के लिए यान की कक्षा को 100 किमी तक घटाया जाएगा। तब उन्होंने कहा था कि ये काम 17 अगस्त को अंजाम दिया जाएगा।
आपको बता दें कि 14 जुलाई को लॉन्च के बाद, 15 जुलाई से 25 जुलाई के बीच चंद्रयान-3 की कक्षा को पांच बार एडजस्ट किया गया। तब यान धरती की कक्षा में ही था। इसके बाद 1 अगस्त को चंद्रयान-3 को चांद की कक्षा में पहुंचाया गया।
भारत का चंद्रयान इसरो के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इसके लिए 23 अगस्त की तारीख तय की गई है। इसके साथ ही अमरेका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा चौथा देश बन जाएगा जिसने चांद की सतब पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई है। इसके बाद 23 अगस्त को चंद्रयान-3 को चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग कराने की कोशिश की जाएगी।
मिशन के कई उद्देश्य
अल्टीमीटर: लेजर और आरएफ आधारित अल्टीमीटर
वेलोसीमीटर : लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा
जड़त्वीय मापन: लेजर गायरो आधारित जड़त्वीय संदर्भ और एक्सेलेरोमीटर पैकेज
प्रणोदन प्रणाली: 800N थ्रॉटलेबल लिक्विड इंजन, 58N एटिट्यूड थ्रस्टर्स और थ्रॉटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स
नौवहन, गाइडेंस एंड कंट्रोल (NGC): पावर्ड डिसेंट ट्रैजेक्टरी डिजाइन और सहयोगी सॉफ्टवेयर तत्व
खतरे का पता लगाना और बचाव : लैंडर खतरे का पता लगाना और बचाव कैमरा और प्रसंस्करण एल्गोरिथम