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आ गया अल-नीनो, भारत में मॉनसून कमजोर रहने की आशंका

मौजूदा साल दुनिया का सबसे गर्म साल हो सकता है। इसकी वजह अल-नीनो है, जिसकी शुरुआत प्रशांत महासागर में हो चुकी है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि कर दी है। डर है कि इस वजह से तापमान पूर्व औद्योगिक काल के मुकाबले 1.5 डिग्री सेल्सियस और बढ़ सकता है।

कई इलाकों में दिखेगा मौसम में बदलाव

अल-नीनो के चलते कई इलाकों में मौसम में बदलाव भी दिखेगा। मसलन, भारत में मॉनसून कमजोर रह सकता है। हालांकि मौसम विभाग ने इस साल मॉनसून सामान्य रहने की उम्मीद जताई है। अगर भारत में मॉनसून कमजोर रहता है तो इससे खेती-बाड़ी पर असर पड़ने की आशंका है। भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया में सूखा पड़ने की आशंका है। अमेरिका के दक्षिणी हिस्से में भी अधिक बारिश होने की आशंका है। प्राकृतिक से बनने वाले अल-नीनो का असर अगले साल फरवरी तक रहने की आशंका है।

ब्रिटेन के मौसम कार्यालय में लंबी अवधि के पूर्वानुमान के प्रमुख एडम स्कैफी ने बीबीसी को बताया कि अल-नीनो अब मजबूत हो रहा है। कई महीनों ने इसके आने की भविष्यवाणी की जा रही थी। लेकिन माना जा रहा है कि इस साल के आखिर तक यह ताकतवर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वैश्विक तापमान इस साल नया रिकॉर्ड बना सकता है। यह इस पर निर्भर करेगा कि अल-नीनो का कितना असर होता है।

क्या है अल-नीनो

अल-नीनो का जलवायु पर बहुत ज्यादा असर होता है। इसके तीन चरण होते हैं। ठंडा, गर्म और न्यूट्रल। गर्म वाला चरण हर दो से सात साल पर आता है। इसमें गर्म पानी दक्षिण अमेरिका के तट पर सतह पर आता है। इससे वातावरण में गर्मी बढ़ जाती है। साल 2016 को दुनिया का अब तक सबसे गर्म साल माना जाता है। उस साल अल-नीनो बहुत ताकतवर था। लेकिन इसे मापने के तरीके अलग-अलग हैं। मसलन, अमेरिकी वैज्ञानिक अल-नीनो की पुष्टि तब करते हैं जब समुद्र का तापमान एक महीने तक सामान्य से आधा डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहता है। इस साल ये स्थिति मई में बन गई थी। यूएस नेशनल ओशियन और एटमॉस्फरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने इसकी पुष्टि की थी। हालांकि तब संकेत बहुत कमजोर थे।

बड़े नुकसान की आशंका

अल-नीनो के चलते बड़ा आर्थिक नुकसान भी होता है। मसलन, 1997-98 में आए ताकतवर अल-नीनो के चलते पांच ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। वहीं तूफान और बाढ़ के चलत 23,000 जान गई थी।

तापमान बढ़ने की आशंका

अल-नीनो के चलते तापमान बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है। माना जा रहा है कि ये साल दुनिया का सबसे गर्म साल हो सकता है। फिलहाल वैश्विक तापमान 1850-1900 के दशक से 1.1 सेल्सियस ज्यादा है। लेकिन अल-नीनो के चलते इसमे 0.2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो सकती है।

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