भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इस साल जून और जुलाई के बीच चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। जोर-शोर से इसकी तैयारियां चल रही है। इस चंद्र मिशन पर इसरो ने पिछले दिनों विज्ञान और डेटा विश्लेषण पहलुओं पर दो दिन की कार्यशाला का आयोजन किया।
इस कार्यशाला का आयोजन 28 और 29 मार्च को बेंगलुरु के पास भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान डेटा सेंटर, बयालालु में हुआ। इस कार्यशाला में चंद्रयान -3 मिशन, डेटा को आर्काइव करने और इन्हें लोगों तक पहुंचाने के पहलुओं और वैज्ञानिक प्रयोगों के संदर्भ में भारत के चंद्रयान-3 मिशन कार्यक्रम पर व्याख्यान शामिल थे।
इसरो ने बताया कि कार्यशाला में चंद्रयान-3 पेलोड के प्रयोगशाला डेटा के प्रसंस्करण और विश्लेषण पर व्यापक व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। इसरो और अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) के वैज्ञानिकों के साथ शिक्षाविदों और संस्थानों के प्रतिभागियों के बीच बातचीत सत्र प्रमुख फोकस था।
संगठन ने कहा कि कार्यशाला में डीओएस के बाहर के 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इनमें 24 संकाय सदस्य और विश्वविद्यालयों और संस्थानों के वरिष्ठ छात्र शामिल थे जो मिशन से मिले डेटा का इस्तेमाल करेंगे। कार्यशाला में डीओएस के बाहर से कुल 33 भारतीय शैक्षणिक संस्थानों का प्रतिनिधित्व किया गया। इसरो और डीओएस के लगभग 20 वैज्ञानिकों ने विज्ञान पेलोड पर प्रस्तुति दी और व्यावहारिक सत्र आयोजित किए।
चंद्रयान-3 मिशन लैंडिंग साइट के आसपास के क्षेत्र में चांद के रेजोलिथ, चांद की भूकंपीयता, चांद के सतह की प्लाज्मा पर्यावरण और मौलिक संरचना के थर्मो-भौतिक गुणों का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक उपकरणों अपने साथ ले जाएगा।
कार्यशाला में भाग लेने वाले छात्रों को प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया गया कि कैसे इन-सीटू डेटा का विश्लेषण किया जाए। चंद्रयान -3 डेटा का विश्लेषण करने के लिए आगे की तैयारी के लिए डेटा विश्लेषण मैनुअल का उपयोग किया जाएगा।
आपको बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन का ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर रेडी हैं। इसरो इस कोशिश में है कि मिशन सही-सलामत चांद पर उतरे औऱ उससे रोवर अलग हो जाए। पुराने मिशन से सीखते हुए चंद्रयान-3 में नए सेंसर लगाए गए हैं। इसके साथ ही कुछ सुधार उपाय भी किए गए हैं।