भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इस साल कई महत्वाकांक्षी मिशन अंतरिक्ष में भेजेगा। इनमें चंद्रमा पर मिशन भेजने के अलावा सूर्य के बारे में नई जानकारियां जुटाने वाला मिशन भी शामिल है। इसके अलावा गगनयान प्रोजेक्ट पर कई तरह के परीक्षण होंगे। आपको बता दें कि गगनयान अंतरिक्ष में इंसान को ले जाने वाला प्रोजेक्ट है।
इस साल गगनयान की उड़ान संभव
माना जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट की पहली उड़ान इस साल के आखिर में हो सकती है। हालांकि इस टेस्ट फ्लाइट में इंसानों को नहीं भेजा जाएगा। इसमें ऑर्बिटल मॉड्यूल प्रोपल्जन सिस्टम और रिकवरी ऑपरेशन के प्रदर्शन को परखा जाएगा।
चंद्रयान-3 की तैयारी
भारत अगले साल जून में चंद्रयान-3 को चांद पर भेजने की योजना बना रहा है। यान के साथ एक लैंडिंग मॉड्यूल और रोबोटिक रोवर भेजा जाएगा। ये चांद की सतह का परीक्षण कर जरूरी जानकारी जुटाएंगे। भारत ने 2008 में चंद्रयान-1 को चंद्रमा पर भेजा था। इस साल रूस और अमेरिका भी चंद्रमा पर अपना मिशन भेज सकते हैं। अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों का मकसद अंतरिक्ष यात्रियों के रहने के लिए चंद्रमा पर शिविर बनाने का है। इसका मकसद मंगल जैसे ग्रह पर पहुंचने की कोशिशों को विस्तार देना और अंतरिक्ष में गहरे तक रिसर्च को बढ़ावा देना भी है। वहीं यह भी सबको पता है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी है। इसे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तोड़ा जा सकता है। जिसका इस्तेमाल मंगल और अन्य जगहों पर यान भेजने के लिए ईंधन के रूप में किया जा सकता है। यही वजह है कि चांद पर जाने की होड़ मची हुई है।
RLV-LEX का परीक्षण संभव
इस साल फिर से इस्तेमाल में आने वाले लॉन्च व्हीकल के रनवे लैंडिंग एक्सपेरिमेंट को भी अंजाम दिया जा सकता है। ये एक्सपेरिमेंट कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज से होगा। पीएमओ में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने पिछले महीने संसद मे ये जानकारी दी थी।
निजी कंपनियां भी करेंगी बड़ा कारनामा
इसके अलावा, स्पेस स्टार्ट अप से जुड़ी कई निजी कंपनियां भी इस साल कई तरह के परीक्षण करने वाली है। इनमें स्काईरूट का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। स्काईरूट ने नवंबर में भारत का निजी रूप से तैयार पहला रॉकेट लॉन्च किया था। यह कंपनी अपने क्लाइंट का रॉकेट इस साल अंतरिक्ष में भेजने वाली है। इसके अलावा आईआईटी-मद्रास में जन्मे स्टार्ट अप अग्निकुल कॉसमॉस भी अपने अग्निबाण रॉकेट का इस साल परीक्षण करेगा।
इन स्टार्ट अप की नजर भारत के बड़े स्पेस बाजार पर है। फिलहाल इस मार्केट पर पूरी तरह इसरो का नियंत्रण है। ये स्टार्ट अप अर्थ-इमेजिंग सेक्टर, रॉकेट विकसित करने और छोटे सैटेलाइट को लॉन्च करने में महारत हासिल करना चाहते हैं।
इन कंपनियों को लगता है कि भारत के स्पेस बाजार में संभावनाएं बहुत ज्यादा हैं। खासकर अगर ये कंपनियां उन बिजनेस के साथ साझेदारी करती हैं जो स्पेस के क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाना चाहती हैं।