भारत सरकार ने वनों के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए नई कार्य योजना जारी की है। इसे पर्यावरण मंत्रालय ने ‘विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस’ पर सामने रखा। इसका नाम “राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता-2023” है।
2004 में पहली बार बनी थी संहिता
भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है जहां वन प्रबंधन की वैज्ञानिक व्यवस्था है। उक्त कार्य योजना मुख्य साधन है जिसके जरिए भारत में वनों का वैज्ञानिक प्रबंधन किया जा रहा है। राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता को पहली बार साल 2004 में और बाद में 2014 में दोबारा संशोधन के साथ अपनाया गया था। इससे वनों के वैज्ञानिक प्रबंधन में एकरूपता आ पाई। साथ ही संहिता ने विभिन्न वन प्रभागों के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए कार्य योजना तैयार करने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य किया।
पर्यावरणीय स्थिरता पर जोर
भारत में वनों का प्रबंधन कई कारणों से किया जा रहा है। इनमें पर्यावरणीय स्थिरता को बनाए रखना, प्राकृतिक विरासत का संरक्षण करना, मिट्टी के कटाव की जांच करना और जलग्रहण क्षेत्रों का अनाच्छादन करना, टीलों के विस्तार की जांच करना, लोगों की भागीदारी के साथ वृक्षों और वन आवरण को बढ़ाना, वनों की उत्पादकता में वृद्धि करना जैसे काम शामिल हैं। भारत और दुनिया में वैज्ञानिक वन प्रबंधन लगातार नए दृष्टिकोण, नई तकनीकों और इनोवेशन के साथ विकसित हो रहा है और वन प्रबंधन की अनिवार्यताओं तथा उन पर निर्भर लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खुद को विकसित करना अनिवार्य हो गया है।
राज्यों को मिलेगी मदद
राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता-2023 देश के विभिन्न वन प्रभागों के लिए कार्य योजना तैयार करने में राज्य के वन विभागों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में काम करेगी। राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता-2023 में वनों के टिकाऊ प्रबंधन के सिद्धांतों को शामिल करते हुए वन प्रबंधन योजना की अनिवार्यताओं के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें वन और वृक्षों के आवरण की सीमा और स्थिति शामिल है; वन्य जीवन, वन स्वास्थ्य और जीवन शक्ति सहित जैव विविधता का रखरखाव, संरक्षण और वृद्धि, मिट्टी तथा जल संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन, वन संसाधन उत्पादकता में वृद्धि, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक लाभों का रखरखाव एवं वृद्धि तथा उचित नीति, कानूनी सहायता, और संस्थागत ढांचा प्रदान करना।
पहली बार, राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता-2023 में राज्य के वन विभागों को निरंतर डेटा संग्रह और एक केंद्रीकृत डेटाबेस में अपडेट करने के लिए निर्धारित किया गया है।
“भारतीय वन प्रबंधन मानक” इस कोड का एक हिस्सा है। इसका मकसद प्रबंधन में एकरूपता लाने की कोशिश करते हुए हमारे देश में विविध वन पारिस्थितिकी तंत्र को ध्यान में रखना है। टिकाऊ वन प्रबंधन के मानकों को भारतीय वन प्रबंधन मानक में संहिताबद्ध किया गया है, जो भारत में वैज्ञानिक वन प्रबंधन के दीर्घकालिक अनुभवों और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों और संकेतकों के अनुरूप है। भारतीय वन प्रबंधन मानक राज्य के वन विभागों को कार्य योजनाओं के निर्देशों के विरुद्ध प्रबंधन प्रथाओं की प्रभावशीलता को मापने में मदद करेगा।