fbpx
News

क्या होती है रेयर डिज़ीज़ और मरीजों के सामने क्या हैं चुनौतियां

वर्ल्ड रेयर डिज़ीज़ दिवस के अवसर पर ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ रेयर डिज़ीज़ इंडिया (ORDI/ओआरडीआई) एम्स के सहयोग से दिल्ली में रेसफॉर-7 का आठवां संस्करण आयोजित किया गया। इस रेस का उद्देश्य जनमानस में विरल रोगों के प्रति जागरुकता बढ़ाना और उन्हें बेहतर उपचार तक पहुंचाने की कोशिश करना था। ORDI ने 12 मार्च को सात किलोमीटर की इस रेस का आयोजन किया।

क्या होती है रेयर डिजीज

रेयर डिज़ीज़ यानी विरल रोग एक ऐसी अवस्था है, जिसे कई बार खुद रोगी भी नहीं समझ पाते। विरल रोग उन बीमारियों को कहते हैं, जिनसे ग्रस्त होने वाले लोगों की संख्या का प्रतिशत काफ़ी कम होता है। आमतौर पर यह रोग आनुवांशिक होते हैं और रोगी या तो जीवित नहीं रहते या जीवन भर इस रोग के साथ जीना पड़ता है। बहुत कम उम्र से शुरू होने वाले इन रोगों का इलाज अभी तक चुनौती बना हुआ है। पूरे विश्व में ऐसे रोगों को लेकर जागरुकता पैदा की जा रही है और विश्व स्वास्थ्य संगठन भी नज़र रख रहा है। भारत में ऐसे रोगों के प्रति सरकारी प्रयासों के अलावा विरल रोग संगठन (भारत) काम कर रहा है। विश्व विरल रोग दिवस के अवसर पर सालाना मैराथन रेसफॉर-7 का आयोजन करता है जिसमें कोई भी हिस्सा ले सकता है। इस बार भी ओआरडीआई ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के सहयोग से 12 मार्च को रेसफॉर-7 के आठवें संस्करण का आयोजन किया। जिसमें सात किमी की रेस 7000 ज्ञात विरल रोगों का प्रतीक थी| यह रेस नई दिल्ली, अहमदाबाद, बेंगलुरू, मुंबई सहित 12 शहरों में आयोजित की गई।

ये था उद्देश्य

रेसफॉर-7 का उद्देश्य समाज में दुर्लभ रोगों के प्रति जागरुकता बढ़ाना, दुर्लभ बीमारियों के प्रति बेहतर नीतियों और उपचार तक पहुंच के लिए आवाज़ उठाना है। आपको बता दें कि भारत सरकार ने विरल रोग राष्ट्रीय नीति 2021 भी जारी की है। इसमें ऐसे मरीज़ों की पहचान होने पर उनके स्वास्थ्य सेवाएं देने के साथ आर्थिक सहयोग भी किया जाता है। इन रोगों को दिव्यांगता में शामिल करने की भी मांग की जा रही है, ताकि ऐसे रोगियों को हर क्षेत्र में सुविधाएं दी जा सकें। हालांकि सबसे बड़ा बचाव जागरुकता है, ताकि नवजात शिशु में ही स्क्रीनिंग अनिवार्य हो जाए। अगर वक्त रहते इस बीमारी का पता चल जाए तो इसका काफ़ी हद तक निदान किया जा सकता है।

ओआरडीआई उठा रहा आवाज

ओआरडीआई भारत विरल रोगों के प्रति सामूहिक आवाज़ का प्रतिनिधित्व करने वाला एक गैर-लाभकारी राष्ट्रीय संगठन है, जो लगातार ऐसी बीमारियों से ग्रस्त लोगों के हितों को लेकर काम कर रहा है। विरल रोग को लेकर अभी कई चुनौतियां है जैसे पूर्ण देखभाल और समर्थन, स्वदेशी दवा का विकास और बीमा कवरेज। ज़रूरत है ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ आने की ताकि एक कठिन जीवन जी रहे विरल रोग ग्रस्त रोगियों को भी समाधान मिल सके।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

You may also like