भारतीय नौसेना के लिए रविवार का दिन ऐतिहासिक रहा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर युद्धपोत मोरमुगाओ (डी-67) को मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड में कमीशन किया गया। इस युद्धपोत को भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने देशी तकनीक से डिजाइन किया है। वहीं मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने इसे बनाया है।
छिपकर वार करने में महारत
मोरमुगाओ में कई खासियतें हैं। यह 7,400 टन के डिस्प्लेसमेंट के साथ 163 मीटर लंबा और 17 मीटर चौड़ा है। आईएनएस मोरमुगाओ नए युग के हथियारों से लैस है। इनमें सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल जैसे सेंसर शामिल हैं। जहाज में आधुनिक निगरानी रडार भी लगा है। यह तोपखाना हथियार प्रणालियों को जरूरी डेटा प्रदान करता है। इसकी एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमताएं स्वदेशी रूप से विकसित रॉकेट लॉन्चर, टॉरपीडो लॉन्चर और एएसडब्ल्यू हेलिकॉप्टरों द्वारा प्रदान की जाती हैं।
किसी भी तरह का युद्ध लड़ने की क्षमता
यह जहाज परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध लड़ने में पूरी तरह सक्षम है। जहाज चार ताकतवर गैस टर्बाइन से चलता है। इसकी गति 30 समुद्री मील से ज्यादा है। जहाज की सबसे बड़ी खासियत छिप कर वार करने की क्षमता है।
हिंद महासागर में शक्ति संतुलन के लिए अहम
हिंद महासागर क्षेत्र में शक्ति संतुलन लगातार बदल रहा है। इस लिहाज से यह युद्धपोत किसी भी मिशन या काम को पूरा करने के लिए नौसेना की गतिशीलता, पहुंच और लचीलेपन को बढ़ाएगा। नौसेना में जहाज का शामिल होना इस क्षेत्र में फर्स्टश रिस्पायन्डलर और पसंदीदा सुरक्षा भागीदार बने रहने की भारत की बढ़ती क्षमता को भी दिखाता है।
विशाखापट्टनम क्लास का डिस्ट्रॉयर
आईएनएस मोरमुगाओ विशाखापट्टनम क्लास के डिस्ट्रॉयर में दूसरा है। पिछले साल 21 नवंबर को आईएनएस विशाखापट्टनम को कमीशन किया गया था। इन दोनों के कमीशन के बाद समुद्र में भारत की ताकत काफी बढ़ जाएगी। इस जहाज को 17 सितंबर, 2016 को लॉन्च किया गया था। पिछले साल 19 दिसंबर को गोवा मुक्ति के 60 साल पूरे होने पर इसका समुद्री परीक्षण शुरू किया गया था। इस साल 18 दिसंबर को इसकी कमिशनिंग अहम है क्योंकि 1961 में इसी तारीख को गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन विजय शुरू किया गया था।