fbpx
Research Uncategorized

न्यूक्लियर फ्यूजन: सस्ती और साफ ऊर्जा का लंबा रास्ता

न्यूज इन साइंस डेस्क।

अमेरिका में वैज्ञानिकों ने स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। दशकों की मेहनत के बाद वैज्ञानिक न्यूक्लियर फ्यूजन से ऊर्जा बनाने में सफल हो गए हैं। मंगलवार को वैज्ञानिकों ने इसकी जानकारी दी। कैलिफोर्निया में लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी की नेशनल इग्निशन में वैज्ञानिकों ने यह उपलब्धि हासिल की।

क्या होता है न्यूक्लियर फ्यूजन

न्यूक्लियर फ्यूजन असल में बनावटी सूरज है। सूर्य में इसी तरीके से बेशुमार ऊर्जा पैदा होती है। वैज्ञानिक 1960 के दशक से ही इस पर काम कर रहे हैं। वो दरअसल पृथ्वी पर इसे आजमाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका मानना है कि इस प्रक्रिया से साफ-सुथरी ऊर्जा मिलेगी। न्यूक्लियर फ्यूजन में एटम वाले बहुत छोटे पार्टिकल को हीट किया जाता है। इसके बाद इन्हें एक में मिलाकर वजनदार पार्टिकल बनाया जाता है। यह न्यूक्लियर फिजन (nuclear fission) से बिल्कुल अलग है। इसमें भारी एटम को अलग किया जाता है। न्यूक्लियर पावर प्लांट में फिलहाल इसी तरीके से बिजली बनाई जाती है।

स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा का रास्ता

न्यूक्लियर फ्यूजन से मामूली कचरा पैदा होता है। इसके विपरीत न्यूक्लियर फिजन में बहुत सारा रेडियोऐक्टिव कचरा निकलता है। इस खतरनाक कचरे को सैकड़ों साल तक सुरक्षित रूप से रखना पड़ता है। दूसरी तरफ, न्यूक्लियर फ्यूजन में तेल या गैस की जरूरत नहीं होती है। इससे ग्रीन हाउस गैसें भी नहीं निकलती हैं। इससे बेशुमार बिजली पैदा की जा सकती है और आखिरकार सस्ते में पूरी दुनिया को रोशन किया जा सकता है। न्यूक्लियर फ्यूजन जलवायु परिवर्तन रोकने का एक असरदार उपाय हो सकता है।

हाइड्रोजन का इस्तेमाल

न्यूक्लियर फ्यूजन में आम तौर पर हाइड्रोजन और लीथियम का इस्तेमाल होता है। हाइड्रोजन को समुद्र से आसानी से हासिल किया जा सकता है। मतलब कि इसके लिए जिन फ्यूल की जरूरत है वो लाखों वर्षों तक मिल सकता है।

अभी लगेंगे कई साल

पिछले कुछ सालों मे न्यूक्लियर फ्यूजन के क्षेत्र में कई असरदार उपलब्धियां हासिल हुई हैं। लेकिन इससे बिजली हासिल करना शायद अभी दूर की कौड़ी है। इसी साल यूरोपीय वैज्ञानिकों ने पांच सेकंड में हासिल की गई बिजली का अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ा था। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी इस तरीके से बिजली पैदा करने को सुरक्षित मानती है। लेकिन ऐसे संयंत्र की सार-संभाल बहुत मुश्किल है। इसे किसी भी कीमत पर नियंत्रण से बाहर होने नहीं दिया जा सकता है। न्यूक्लियर फ्यूजन से मिलने वाली बिजली का इस्तेमाल करने से 2050 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

You may also like