fbpx
News Uncategorized

सैटेलाइट एक्सपोसैट एक से अधिक संस्थानों के ‘संपूर्ण विज्ञान’ के संयुक्त प्रयास का प्रतीक

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नववर्ष का उपग्रह एक्सपोसैट एक से अधिक संस्थानों के ‘संपूर्ण विज्ञान’ के संयुक्त प्रयास का एक उदाहरण है।

रामन अनुसंधान संस्थान के प्लेटिनम जुबली समारोह को संबोधित करते हुए, श्री सिंह ने कहा कि प्राथमिक विज्ञान पेलोड की कल्पना, डिजाइन एवं विकास रमन अनुसंधान संस्थान द्वारा किया गया, जबकि इसका प्रक्षेपण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले 75 वर्षों से मेक इन इंडिया की संस्कृति और आत्मनिर्भरता रमन अनुसंधान संस्थान (आरआरआई) की सफलता का मंत्र रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और भारतीय अंतरिक्ष आधारित विज्ञान कार्यक्रम में लंबे समय से कार्यरत अकादमिक भागीदार रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट के बीच घनिष्ठ तालमेल पर अपना संतोष व्यक्त किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आरआरआई के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी, जिन्होंने हाल के मिशन के लिए पोओएलआईएक्स पर अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। उन्होंने कहा कि आरआरआई इसरो के सहयोग से फिर से उपग्रह आधारित क्वांटम संचार में एक प्रमुख भागीदार की भूमिका निभा रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि “मैं अपने देश के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए राष्ट्रीय हित के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में आरआरआई के महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने को लेकर बहुत उत्सुक हूं।”

चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण और अन्य घटनाओं को रेखांकित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वर्ष 2023 वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों में देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह आज बेंगलूरू में आरआरआई के प्लेटिनम जुबली वर्ष समारोह के भव्य समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने संस्थान के संस्थापक, प्रोफेसर सी वी रामन के महान योगदान को याद किया, जिनकी एक सदी पहले की गई अभूतपूर्व खोज ने अब स्पेक्ट्रोस्कोपी और संबंधित क्षेत्रों में अनुप्रयोगों को जन्म दिया। उन्होंने कहा कि यह अत्याधुनिक मौलिक अग्रणी विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अव्यक्त मूल्य है और पूरी दुनिया के विकसित समाज को इसकी सराहना करनी चाहिए और इससे सीखना चाहिए।

भारत द्वारा तीव्र गति के साथ शीर्ष चार अर्थव्यवस्थाओं की ओर बढ़ने के बारे में बात करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मानवता को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जिसके लिए समाधान प्रदान करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर निर्भरता बढ़ेगी। उन्होंने वैज्ञानिकों से देश के अमृत काल की यात्रा में योगदान देने का आग्रह किया।

इस अवसर पर डॉ. अनिल काकोडकर, होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान के कुलाधिपति, श्री एएस किरण कुमार, आरआरआई गवर्निंग के अध्यक्ष और इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आरआरआई के निदेशक प्रोफेसर तरुण सौरदीप भी उपस्थित हुए।

इससे पहले अपने आगमन पर, श्री सिंह ने आरआरआई पुस्तकालय परिसर का दौरा किया, वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की और विजिटर बुक में अपनी टिप्पणी दर्ज की।

बाद में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने संस्थान परिसर में नया ‘रामन वृक्ष’ लगाया और आरआरआई की वैज्ञानिक उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए “लाइटिंग द वे ऑफ फिजिक्स” प्रकाशन जारी किया।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

You may also like