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कार्बन नैनोट्यूब के सोडियम उत्प्रेरित संश्लेषण की एक नई विधि

750 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर ग्लास सब्सट्रेट पर कार्बन नैनोट्यूब्स (सीएनटीएस) को सीधे संश्लेषित करने की एक नई विधि ऊर्जा अनुसंधान, जैवचिकित्सकीय (बायोमेडिकल) क्षेत्रों और प्रकाश इलेक्ट्रॉनिकी (ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स) में सहायता कर सकती है।

कार्बन नैनोट्यूब्स (सीएनटीएस) असाधारण गुणों का प्रदर्शन करके आधुनिक प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण हैं। उन्हें रिचार्ज की जा सकने योग्य (रिचार्जेबल) बैटरी, लचीले इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस, पारदर्शी इलेक्ट्रोड, टच स्क्रीन, सुपरकैपेसिटर्स और चिकित्सा सहित विभिन्न क्षेत्रों में अनुप्रयोग मिले हैं। हालाँकि, पारंपरिक सीएनटी संश्लेषण विधियों के लिए उच्च तापमान (~1000 0C) और धातु उत्प्रेरक (लोहा-एफई, कोबाल्ट- सीओ एवं निकेल-एनआई) की आवश्यकता होती है। ये उत्प्रेरक संभावित जैव चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिए जैव अनुकूलता संबंधी चिंताएँ उत्पन्न करते हैं। सीएनटी से इन उत्प्रेरकों को हटाने की चुनौती लागत को बहुत बढ़ा देती है, जिसके चलते स्वच्छ, अधिक टिकाऊ सीएनटी संश्लेषण विधियों की तत्काल आवश्यकता उजागर होने लगती है–और ऐसा करना नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक नई किन्तु रोमांचकारी चुनौती बन जाता है।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) के शोधकर्ताओं ने 750 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर ग्लास सब्सट्रेट्स पर सीएनटी को सीधे संश्लेषित करने के लिए एक अनूठी विधि का विकसित करने की पहल की है। यह प्रयोग प्लाज़्मा संवर्धित रासायनिक वाष्प जमाव तकनीक (पीईसीवीडी) का उपयोग करके किया जाता है, जहां विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए सर्पिल (स्पाइरल)-आकार के संगलित खोखले (फ्यूज्ड होलो) कैथोड स्रोत का उपयोग करके प्लाज़्मा उत्पन्न किया जाता है। यह नवोन्मेषी प्रक्रिया ऊंचे तापमान की आवश्यकता को समाप्त कर देती है और एक संक्रमण धातु उत्प्रेरक (ट्रांजीशन मेटल कैटेलिस्ट) की आवश्यकता को समाप्त कर देती है। इसके अलावा, इस संश्लेषण को वायुमंडलीय दबाव के अंतर्गत क्रियान्वित किया जाता है, जिससे इस क्षेत्र में समकक्षों की तुलना में इसके लाभिन में सराहनीय लागत-प्रभावशीलता जुड़ जाती है।

प्लाज्मा विशेषताएं , सब्सट्रेट की संरचना, सब्सट्रेट का तापमान और सब्सट्रेट के पूर्व (प्री)-प्लाज्मा उपचार सहित कई कारक, सीएनटी के विकास को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं। इष्टतम रूप से, ऊंचे तापमान पर ग्लास सब्सट्रेट का पूर्व (प्री)-प्लाज्मा उपचार सतह क्षेत्र को बढ़ाता है, जिससे इसके घटक तत्वों की अधिक महत्वपूर्ण मात्रा सीधे सतह पर दिखने लगती है। शीशे के भीतर सभी तत्वों में से सोडियम (एनए) सीएनटी वृद्धि शुरू करने के लिए प्राथमिक उत्प्रेरक के रूप में उभरता है और विश्लेषण भी यही प्रमाणित करता है। यह भी देखा गया है कि सोडियम (एनए) युक्त सीएनटीएस को विआयनीकृत जल (डी-आयनाइज्ड वाटर) से धोकर विकसित सीएनटीएस में विद्यमान सोडियम (एनए) को सरलता से हटाया जा सकता है।

संक्षेप में, यह अध्ययन सीएनटी को संश्लेषित करने के लिए एक ऐसी नवीन वायुमंडलीय दबाव पीईसीवीडी प्रक्रिया का खुलासा करता है, जो ऊर्जा अनुसंधान, जैवचिकित्सकीय क्षेत्रों और प्रकाश इलेक्ट्रॉनिकी में अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त स्वच्छ सीएनटी के उत्पादन को सक्षम बनाती है। यह खोज सीएनटी संश्लेषण में चुनौतियों का समाधान करने और विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों में उनके अनुप्रयोग को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का भी प्रतीक है।

“ग्लास सब्सट्रेट पर कार्बन नैनोट्यूब के एकल -चरण संश्लेषण (सिंगल-स्टेप सिन्थेसिस) के लिए एक प्रक्रिया” के लिए पेटेंट भरा गया, ज्योतिस्मान बोरा और अरूप आर. पाल, (भारतीय पेटेंट आवेदन संख्या 202331043095)

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